Mahashivratri 2024 Kab Hai: महाराष्ट्र के नासिक में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, इन्हीं में से एक है त्र्यम्बकेश्वर। ये मंदिर 12 ज्योतिर्लिगों में से आठवें स्थान पर आता है। इस मंदिर से कईं रहस्य और परंपराएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे और खास बनाती हैं।
Mahashivratri 2024 Kab Hai: हर साल फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। वहीं शिवरात्रि का पर्व हर महीने मनाया जाता है। बहुत कम लोगों को शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अंतर पता है।
हिंदू धर्म में अनेक ग्रंथों की रचना की गई है। इन ग्रंथों में लाइफ मैनेजमेंट से जुड़ी अनेक खास बातें बताई गई हैं। स्मृति शास्त्र भी इनमें से एक है। इस ग्रंथ के अनुसार 5 लोगों का नाम कभी अपने मुख से नही लेना चाहिए।
Vijaya Ekadashi 2024: हिंदू कैलेंडर के हर महीने में दो बार एकादशी व्रत किया जाता है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी व्रत किए जाते हैं। इसी क्रम में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं।
धर्म ग्रंथों में सप्तपुरियों का वर्णन मिलता है। सप्तपुरी यानी भारत के सबसे प्राचीन 7 शहर। इनमें काशी का भी नाम है। काशी को मुक्तदायिनी भी कहते हैं। यहां विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
Mahashivratri 2024 Kab Hai: इस बार महाशिवरात्रि पर्व 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन करोड़ों भक्त व्रत-उपवास रखते हैं। उपवास के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जानें कौन-सी हैं ये बातें।
March 2024 Shubh Muhurat: साल 2024 के तीसरे महीने मार्च में भी विवाह आदि शुभ कार्य किए जा सकेंगे। हालांकि ये मुहूर्त 15 मार्च तक ही रहेंगे। इसके बाद खर मास शुरू होने से मांगलिक कामों पर रोक लग जाएगी।
Mahashivratri 2024 Kab Hai: हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है। इन सभी ज्योतिर्लिंगों के साथ अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठे स्थान पर आता है भीमाशंकर।
Mahashivratri 2024 Kab Hai: साल भर में भगवान शिव से संबंधित अनेक व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, इनमें महाशिवरात्रि सबसे प्रमुख है। बहुत कम लोगों को पता है ये कि ये त्योहार क्यों मनाया जाता है।
Sankashti Chaturthi February 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान श्रीगणेश हैं। इसलिए हर महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। इन चतुर्थी व्रतों के कईं विशेष नाम भी हैं।