सार

Jagannath Temple Puri: उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का समापन हो चुका है। 9 दिन मौसी के घर रुकने के बाद भगवान अपने स्थान पर लौट चुके हैं। भगवान जगन्नाथ के कई भक्तों की कथाएं काफी प्रचलित हैं, भक्त दासिया बाउरी भी इनमें से एक है।

 

उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 28 जून को समाप्त हो चुकी है। इसके बाद की धार्मिक कार्यक्रम निरंतर किए जा रहे हैं। रथयात्रा के समापन का उत्सव यहां से 45 किमी दूर बालीगांव (Baligaon) में भी माया जा रहा है। (Jagannath Temple Puri) ये जगह बहुत ही खास हैं क्योंकि यहां भगवान जगन्नाथ के भक्त दासिया बाउरी का है। भक्त दासिया बाउरी (Dasiya Baori Temple) से जुड़ी कई कथाएं यहां काफी प्रचलित है। ऐसा भी कहा जाता है कि भक्त दासिया बाउरी का प्रसाद लेने के लिए स्वयं भगवान जगन्नाथ को बाहर आना पड़ा था। आगे जानिए कौन थे भक्त दासिया बाउरी…

जब भक्त का प्रसाद लेने स्वयं भगवान आए
15 शताब्दी के अंत में भगवान जगन्नाथ के एक परम भक्त हुये, उनका नाम था दासिया बाउरी। वे आदिवासी थे, इसलिए उन्हें भगवान जगन्नाथ के मंदिर में घुसने की मनाही थी। एक बार उनके गांव के कुछ ब्राह्मण भगवान जगन्नाथ के दर्शन को जा रहे थे। तभी दासिया बाउरी ने उन्हें एक नारियल दिया और कहा कि “इसे भगवान जगन्नाथ के हाथ में ही देना। स्वयं भगवान स्वयं न आएं तो वापस ले आना।”
जब ब्राह्मण मंदिर पहुंचे तो उन्होंने मंदिर के बाहर से ही भगवान से कहा “दासिया ने नारियल भेजा है, स्वयं आकर ले लो।” इतना कहते ही उनके हाथों का नारियल गायब हो गया। अगले दिन भगवान जगन्नाथ के आसन के नीचे नारियल के छिलके पड़े मिले। ये बात आगे की तरह फैल गई। सभी दूर दासिया बाउरी की भक्ति के चर्चे होने लगे।

यहां है भक्त दासिया बाउरी का मंदिर
भक्त दासिया बाउरी का मंदिर आज भी पुरी से 45 किमी दूर बालीगांव में स्थित है। उनके परिवार के लोग आज भी इस गांव में निवास करते हैं। यहां स्थित मंदिर वैसे तो काफी पुराना है, कुछ सालों पहले सरकार ने इसे भव्य स्वरूप दे दिया है। यहां मंदिर के बीच में भगवान जगन्नाथ का आसन है, उनके ठीक सामने हाथों में नारियल लिए प्रभु को निहारते भक्त दासिया बाउरी की मूर्ति। पास ही में एक तालाब भी है। कहते हैं कि इसी तालाब से कमल के फूल तोड़कर दासिया भगवान जगन्नाथ को चढ़ाते थे।

आज भी जारी है ये परंपरा
भक्त दासिया बाउरी की और भी कई कथाएं यहां काफी प्रचलित हैं। जगन्नाथ मंदिर में होने वाला प्रत्येक यहां भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। अब आदिवासियों के मंदिर जाने की कोई मनाही नहीं है। खास बात यह है कि यहां से लाया गया नारियल तोड़कर ही भगवान जगन्नाथ के रथ का निर्माण कार्य शुरू किया जाता है। भक्त दासिया बाऊरी की समाधि पर प्रसाद के रूप में नारियल ही मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है।


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