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ये 1 नाम लेने से भाग जाते हैं विषैले और खतरनाक सांप, जानें क्या है ये मान्यता?

Nagpanchami 2023: इस बार नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त, सोमवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। नागों से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हमारे समाज में प्रचलित है। इनके पीछे कोई न कोई धार्मिक या मनोवैज्ञानिक पक्ष जुड़ा हुआ है। 

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Manish Meharele
Published : Aug 10 2023, 10:36 AM IST
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कब है नागपंचमी?
Image Credit : Getty

कब है नागपंचमी?

हर साल सावन शुक्ल पंचमी तिथि को नागपंचमी (Nagpanchami 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 21 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा करना का विधान है। हमारे धर्म ग्रंथों में नागों से जुड़ी कई कथाएं बताई गई हैं। उन्हीं में से एक कथा नागदाह यज्ञ (Nagdah Yagya) की भी है। इस कथा में एक मुनि का वर्णन भी है। मान्यता है कि उनका नाम लेने से विषैले और खतरनाक सांप भी भाग जाते हैं। जानें कौन हैं वो ऋषि और इस कथा के बारे में…

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राजा जनमेजय ने किया नागदाह यज्ञ
Image Credit : Getty

राजा जनमेजय ने किया नागदाह यज्ञ

महाभारत के अनुसार, अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग द्वारा काटने से हुई थी। ये बात जब उनके पुत्र राजा जनमेजय को पता चली तो उन्होंने नागदाह यज्ञ करने का निर्णय किया। जब नागदाह यज्ञ प्रारंभ हुआ तो उसकी अग्नि में बड़े-छोटे, वृद्ध, युवा सर्प आ-आकर गिरने लगे। यज्ञ के डर से तक्षक नाग देवराज इंद्र के यहां जाकर छिप गया।

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आस्तिक मुनि ने रोक नागदाह यज्ञ
Image Credit : Getty

आस्तिक मुनि ने रोक नागदाह यज्ञ

जब नागों के राजा वासुकि को नागदाह यज्ञ के बारे में पता चला तो वे अपनी बहन जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि के पास गए। आस्तिक मुनि बालक ही थे, लेकिन उन्हें सभी वेदों का ज्ञान था। आस्तिक मुनि नागदाह यज्ञ रोकने के लिए यज्ञ स्थल पर आए और यज्ञ की स्तुति करने लगे। यह देखकर वहां बैठे सभी संत-महात्मा उनकी प्रशंसा करने लगे।

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राजा जनमेजय ने दिया वरदान
Image Credit : Getty

राजा जनमेजय ने दिया वरदान

आस्तिक मुनि के मुख से यज्ञ की स्तुति सुन राजा जनमेजय ने उन्हें वरदान देने के लिए बुलाया। तब आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय से सर्प यज्ञ बंद करने का निवेदन किया। पहले तो जनमेजय ने इंकार किया लेकिन बाद में ऋषियों द्वारा समझाने पर वे मान गए। इस प्रकार आस्तिक मुनि ने सर्पों को भस्म होने से बचा लिया।

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इसलिए इनका नाम लेने से भाग जाते हैं सांप
Image Credit : Getty

इसलिए इनका नाम लेने से भाग जाते हैं सांप

महाभारत के अनुसार, आस्तिक मुनि ने सर्प जाति का नाश होने से बचाया था, इसलिए सर्प भय के समय जो भी व्यक्ति आस्तिक मुनि का नाम लेता है, सांप उसे नहीं काटते। ऐसी भी मान्यता है कि यदि घर के बाहर आस्तिक मुनि का नाम लिखा जाए तो सर्प अंदर नहीं आते।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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