नवरात्रि में मुख्य रूप से देवी भगवती की उपासना की जाती है। देवी भगवती ने असुरों का वध करने के लिए कई अवतार लिए।
इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन की परंपरा है। इस बार अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर और नवमी तिथि 7 अक्टूबर को है।
हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 8 अक्टूबर को है।
शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि (4 अक्टूबर) की प्रमुख देवी मां कात्यायनी हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इनकी चार भुजाएं हैं।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा शहर में मालकड़ा पहाड़ी पर स्थित है देवी बज्रेश्वरी का मंदिर। यह स्थान तंत्र-मंत्र के लिए प्रसिद्ध है।
गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले की दांता तालुका में स्थित अम्बाजी का मंदिर देवी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार देवी शक्ति की उपासना नवरात्रि में पूरे विधि-विधान से की जाए तो सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में विभिन्न प्रकार से देवी की पूजा के बारे में उल्लेख किया गया है।
शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन (3 अक्टूबर) स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान वाली हैं।
अर्जुन ने पूछा कि उसे अपनों के खिलाफ ही युद्ध लड़ने की जरूरत क्यों है। तब समय अर्जुन के सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 700 श्लोक सुनाए जिन्हें हम आज श्रीमद् भग्वतगीता के नाम से जानते हैं।
जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में कटरा से उत्तर पश्चिमी हिमालय के त्रिकूट पर्वत पर स्थित है वैष्णो देवी मंदिर।