Muzaffarpur Flood News : बिहार के मुजफ्फरपुर में बागमती नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने से चचरी पुल बह गया, कई गांव जलमग्न हो गए। नाव ही एकमात्र सहारा बनी है। प्रशासन अलर्ट पर है और राहत-बचाव कार्य के लिए स्थिति पर नजर रखे हुए है।

Bihar Flood 2025 : मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड में बागमती नदी एक बार फिर तबाही की राह पर है। मंगलवार को बभनगामा पूर्वी टोला में बागमती की उत्तरी उपधारा पर बना चचरी पुल करीब दोपहर 12 बजे पानी के भारी दबाव में बह गया। इस खतरनाक हालात में पुल के संचालकों महेंद्र सहनी और सत्यनारायण सहनी ने बांस-बल्ली से कुछ हिस्सों को बचाने की कोशिश की, लेकिन नदी का प्रवाह इतना तेज था कि सारी कोशिशें बेकार हो गईं। अब ग्रामीणों के पास नाव ही एकमात्र सहारा बचा है।

तीन फीट तक बढ़ा जलस्तर, तेजी से फैल रहा है पानी

बागमती की उत्तरी और दक्षिणी उपधाराओं में करीब तीन फीट तक पानी का इजाफा हो चुका है। खासकर अतरार इलाके में दक्षिणी उपधारा अब मुख्यधारा बन चुकी है, जिससे पानी तेजी से आसपास के गांवों में फैलता जा रहा है। कटौंझा क्षेत्र में अभी नदी खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन बाढ़ के हालात बिगड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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गांवों में नाव ही बना सहारा, रास्ते हुए जलमग्न

प्रखंड के करीब एक दर्जन गांव अब पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। वहां अब बच्चे स्कूल नाव से जा रहे हैं और किसान खेतों तक नावों से पहुंच रहे हैं। जिन रास्तों पर कभी साइकिल और बैलगाड़ी चलती थी, अब वहीं से नावें गुजर रही हैं। गांव की ज़िंदगी नावों पर सवार होकर किसी तरह आगे बढ़ रही है।

बेनीबाद में कटाव का खतरा, प्रशासन सतर्क

बेनीबाद क्षेत्र में बागमती के लगातार बढ़ते जलस्तर से तटबंध पर कटाव की आशंका बढ़ गई है। पथ प्रमंडल-2 की टीम कार्यपालक अभियंता ओमप्रकाश की निगरानी में तटबंध की सुरक्षा पर पूरी नजर बनाए हुए है।

बकुची में पीपा पुल पर भी संकट, संपर्क हुआ बाधित

कटरा क्षेत्र के बकुची में बागमती नदी पर बने पीपा पुल के दाहिने एप्रोच पर पानी चढ़ने के बाद तीन घंटे तक आवागमन पूरी तरह ठप रहा। मरम्मत के बाद हल्के वाहनों की आवाजाही तो शुरू हुई, लेकिन चारपहिया वाहन अब भी उस रास्ते से नहीं गुजर पा रहे हैं। इससे उत्तरी हिस्से की 14 पंचायतों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है।

नाव की मांग बढ़ी, कीमतें हुईं आसमान छूने लगीं

तेजी से बिगड़ते हालात को देखते हुए नावों की मांग अचानक बढ़ गई है। लोग दूर-दराज से छोटी नावें खरीदने आ रहे हैं। एक नाव की कीमत 40 से 50 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है। बड़ी नावें कम होने के कारण छोटी नावें ही अब इन ग्रामीणों की जीवनरेखा बन गई हैं। सीओ मधुमिता कुमारी ने बताया कि प्रशासन सभी प्रभावित इलाकों पर नजर बनाए हुए है। हर जगह से रिपोर्ट मंगाई जा रही है और जरूरत पड़ने पर राहत व बचाव कार्य शुरू किया जाएगा।

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