सार
घर खरीदारों से कथित धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हरियाणा के कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर के यहां छापेमारी के बाद चार लक्जरी कारें, 14.5 लाख रुपये के आभूषण और 4.5 लाख रुपये नकद जब्त किए गए हैं।
पानीपत. घर खरीदारों से कथित धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हरियाणा के कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर और उनके स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों के खिलाफ छापेमारी के बाद चार लक्जरी कारें, 14.5 लाख रुपये के आभूषण और 4.5 लाख रुपये नकद जब्त किए गए हैं। निदेशालय ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि पानीपत जिले के समालखा से 59 वर्षीय विधायक धर्म सिंह छौक्कर अपने बेटों सिकंदर सिंह और विकास छोकर के साथ माहिरा रियल एस्टेट समूह के मालिक और प्रमोटर हैं।
पानीपत-समालखा के कांग्रेस विधायक धर्म सिंह के खिलाफ ED का कार्रवाई
पीएमएलए की तहत क्रिमिनल सेक्शन के तहत यह कार्रवाई ईडी द्वारा 25 जुलाई को समालखा (पानीपत) विधायक और अन्य के खिलाफ तलाशी शुरू करने के बाद हुई। छौक्कर और उनके परिवार के स्वामित्व और नियंत्रण वालीं साई आइना फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड (वर्तमान में माहिरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड) और माहिरा समूह की अन्य समूह कंपनियों से संबंधित समालखा, गुरुग्राम और दिल्ली में ग्यारह स्थानों पर छापे मारे गए।
पानीपत से कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर की साई आइना फॉर्म्स पर धोखाधड़ी का आरोप
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला तब सामने आया, जब गुरुग्राम पुलिस ने आरोपियों और साई आइना फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का केस दर्ज किया। इसमें किफायती आवास योजना के तहत 1,497 घर खरीदारों से लगभग ₹360 करोड़ एकत्र करने का आरोप है। ईडी ने कहा कि दिल्ली के पास गुरुग्राम के सेक्टर 68 में घर उपलब्ध कराने का वादा किया गया था। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि छौक्कर और उनके बेटे, सिकंदर सिंह और विकास छौक्कर और अन्य प्रमुख कर्मचारी तलाशी के दौरान अनुपस्थित रहे और जांच में शामिल नहीं हुए हैं।
जांच एजेंसी ने कहा कि आरोपी मकान देने में विफल रहे। घर खरीदार एक साल से माहिरा समूह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन/धरना दे रहे हैं और वादा किए गए घरों की जल्द से जल्द डिलीवरी की मांग कर रहे हैं।
समालखा से कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर ने क्या धोखाधड़ी की?
जांच में सामने आया कि आरोपियों ने कई व्यक्तिगत और पारिवारिक खर्चों को समूह संस्थाओं में निर्माण और व्यावसायिक व्यय के रूप में दर्ज किया था। निदेशकों/प्रमोटरों ने व्यक्तिगत लाभ के लिए घर खरीदारों के पैसे को अन्य समूह संस्थाओं को कर्ज के रूप में भेज दिया (जो वर्षों से बकाया है)। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि उन्होंने लगभग 107.5 करोड़ रुपये (57 करोड़ रुपये की सीमा तक फर्जी खर्च) का निष्कासन किया।
संघीय जांच एजेंसी ने कहा कि चार लग्जरी कारें (लगभग 4 करोड़ रुपए मूल्य), 14.5 लाख रुपये के आभूषण, 4.5 लाख रुपये नकद और घर खरीदार के धन की हेराफेरी से संबंधित सबूत जब्त किए गए।
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