एमपी के धार जिले में लोकायुक्त ने राजोद थाने के SI विक्रम देवड़ा को 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। जमीन विवाद के मामले में जमानत और ट्रैक्टर छुड़वाने के नाम पर 12 हजार की मांग की गई थी। आरोपी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई।
मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की कहानी मानो हर रोज एक नया अध्याय लिख रही है। कानून-व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर होती है, कभी-कभी वही लोग सिस्टम को कमजोर करने लगते हैं। धार जिले से सामने आया मामला भी ऐसा ही है, जिसने एक बार फिर सवाल उठाए हैं कि आखिर पुलिस महकमे में रिश्वतखोरी का सिलसिला कब थमेगा। जमीन विवाद के एक मामूली से प्रकरण में जमानत और ट्रैक्टर छुड़वाने के नाम पर रिश्वत की मांग ने पूरे मामले को गंभीर बना दिया।
जमानत और ट्रैक्टर छुड़वाने के नाम पर मांगी रिश्वत
धार जिले के राजोद थाने में पदस्थ उप निरीक्षक विक्रम देवड़ा पर आरोप है कि उसने जमीन विवाद में फंसे एक परिवार से जमानत दिलाने और जब्त ट्रैक्टर छुड़वाने के लिए कुल 12 हजार रुपये की मांग की। फरियादी जीवन राठौड़ और उनके चाचा मुन्नालाल राठौड़ ने 27 नवंबर को इंदौर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत में साफ बताया गया कि SI विक्रम देवड़ा बिना रिश्वत लिए किसी भी तरह की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा रहा था। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त टीम ने तत्काल सत्यापन शुरू किया।
यह भी पढ़ें: MP में कड़ाके की ठंड में हाईवे पर क्यों बैठे किसान? साथ लाए हैं खाने-बनाने का सामान
सत्यापन में सही निकली शिकायत, तैयार हुई ट्रैप टीम
लोकायुक्त टीम ने गोपनीय तरीके से शिकायत की जांच की जिसमें यह बात पूर्णतः साबित हो गई कि एसआई द्वारा रिश्वत की मांग लगातार की जा रही है। सत्यापन रिपोर्ट के बाद टीम ने आरोपी को पकड़ने के लिए विशेष ट्रैप योजना बनाई और राजोद थाने में ही दबिश दी।
10 हजार लेते रंगे हाथ पकड़ा गया एसआई और साथी अम्बाराम
जैसे ही फरियादी ने तय राशि में से 10 हजार रुपये आरोपी SI को सौंपे, उसी क्षण लोकायुक्त टीम ने दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान SI विक्रम देवड़ा के साथ उसका साथी अंबाराम भी मौजूद था, जिसे भी टीम ने वहीं पकड़ लिया।
कानूनी कार्रवाई शुरू, मध्यप्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर फिर सवाल
दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) की धारा 7, 13(1)B और 13(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। आगे की जांच लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही है।
धार का यह मामला प्रदेश में बढ़ती रिश्वतखोरी की एक और कड़ी है। सवाल यह है कि जब पुलिस ही कानून के दायरे से बाहर जाने लगे, तो आम नागरिक शिकायत लेकर कहां जाए? लोकायुक्त की कार्रवाइयाँ जरूर राहत देती हैं, लेकिन घटनाओं की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का कारण भी है।
यह भी पढ़ें: MP में गिरा 50 साल पुराना पुल, नीचे जा गिरे वाहन..एक मौत तो कई घायल
