ram mandir pran pratishtha रामनगरी अयोध्या की सिंहासन पर राजा राम विराजमान हो गए हैं। 22 जववरी को तय मुहूर्त में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई। आज पूरा देश राममय हो गया है।
Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में बने मंदिर में राम लला के प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम लला की पूजा की और इसके बाद दंडवत प्रणाम भी किया। जानें क्या है दंडवत प्रणाम का अर्थ?
Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में आखिरकार वह घड़ी आ गई जिसका करीब 500 सालों से इंतजार था। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। पीएम मोदी ने मंदिर का उद्घाटन किया। इसके बाद उन्हें संतों ने उपहार दिया है।
Ram Mandir darshan details: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई। ऐसे में आम लोग कब, कैसे दर्शन करने यहां जा सकते हैं आइए हम आपको बताते हैं...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे राम आ गए हैं। कहा आज दिग दिगंत, पूरा ब्रह्मांड इस ऐतिहासिक पल का साक्षी है।
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कई बी टाउन सेलेब्स वहां पहुंचे, जिसमें बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट भी अपने पति रणबीर कपूर के साथ वहां पहुंची। इस दौरान उन्होंने बहुत खास साड़ी पहनी, जिसमें रामायण का चित्रण है।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूर्ण करने के बाद, उपस्थित जनसभा को संबोधित करते हुए प्रभानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- अयोध्या धाम में श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा से पूरा भारतवर्ष राममय और भावुक है।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आज यानी 22 जनवरी को संपन्न हुआ। अब 23 जनवरी से आम लोग भी राम लला के दर्शन कर सकेंगे। आज अयोध्या में अभिजीत मुहूर्त पर रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई।
Ram Mandir Ayodhya Kuber Tila: अयोध्या में बने मंदिर के गर्भ गृह में राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। ये कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया है। इसके बाद मोदी मंदिर के निकट बने कुबेर टीले पर जाकर पूजा करेंगे।
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक कार्य पूरा हो चुका है। पीएम मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्य संपन्न करने के बाद अपने 11 दिनों के उपवास को भी खत्म किया। पूज्य संत ने उन्हें चरणामृत पिलाकर उपवास को समाप्त कराया।