सार

नवरात्रि (Navaratri) में रोज मां दुर्गा (Maa Durga) के 9 पावन स्वरूपों की अराधना होती है। नवरात्रि से जुड़े कई सीक्रेट (Secrets of Navaratri) ऐसे हैं, जो कम ही लोगों को पता हैं। मसलन, नवरात्र का क्या मतलब है। एक साल में कितने नवरात्र पड़ते हैं और कब-कब। ऐसे कई सवालों के जवाब इस खबर में जानते हैं। 

नई दिल्ली। आदिशक्ति मां दुर्गा (Maa Durga) की अराधना का सबसे श्रेष्ठ समय है नवरात्रि (Chaitra Navaratri) । नवरात्रि (Navaratri) के 9 पावन दिनों में रोज मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूर्जा-अर्चना होती है। भक्तों द्वारा सच्चे मन से की गई पूजा से मां खुश होती हैं और सुख-संपत्ति, शांति, ज्ञान और शक्ति प्रदान करती हैं। हिंदू महापर्व चैत्र नवरात्र इस बार 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहा है। 9 दिन तक होने वाली विशिष्ट उपासना का यह पर्व 11 अप्रैल को समाप्त होगा। 

ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा धरती पर आती हैं और 9 दिनों तक यहीं विराजती हैं। इस दौरान भक्तों की उपासना से खुश होकर उनके मनोरथ को पूरा करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि से जुड़े कुछ रहस्य प्रचलित हैं। आइए इन रहस्यों के बारे में जानते हैं- 

- नवरात्रि शब्द का विशेष अर्थ है नव अहोरात्र। नव मतलब नौ तथा तथा अहोरात्र मतलब विशेष रात्रियां। इस दौरान प्रकृति के कई अवरोध और बाधाएं समाप्त हो जातीहैं। माना यह भी जाता है कि दिन की तुलना में रात में दी गई आवाज काफी दूर तक जाती है। ऐसे में इन 36 रात्रियों में बहुत से लोग सिद्धी तथा साधना करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से आपके संकल्प पूरे होते हैं। 

- हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, एक साल में दो नहीं बल्कि, चार नवरात्रि होती है। ये नवरात्रि चैत्र मास, आषाढ़ मास, अश्विन मास और पौष मास में पड़ती है। इस समय चल रही चैत्र मास की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि या बासंतिक नवरात्र के नाम से भी जानते हैं, जबकि अश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्र कहते हैं।  वहीं, आषाढ़ मास और पौष मास में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस तरह एक साल में चार नवरात्र होते हैं, जिसमें 36 रात्रियां पड़ती हैं। 

- नवरात्रि के दौरान तन और मन पर पूर्ण संयम रखना चाहिए। चारों नवरात्र के 36 रात्रियों में शराब, मांस और संसर्ग से दूर रहना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि जो ऐसा नहीं करते वे मां के प्रति असम्मान प्रदर्शित करते हैं और सच्चे मन से उनकी अराधना नहीं करते। यदि 36 रात्रियों में संयम से रहा जाए तो कई मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

- नवरात्रि में मां की अराधना के साथ-साथ उपवास भी रखा जाता है। कहा जाता है कि सालभर की सभी 36 रात्रियों में उपवास रखने से शरीर के प्रत्येक अंग की गहन सफाई हो जाती है। वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार, मानव शरीर में 9 छिद्र होते हैं। इनमें दो कान, दो आंख, नाक में दो छिद्र, गुप्तांग के दो छिद्र और मुंह शामिल हैं। इन सभी 9 अंगों को नवरात्रि के दौरान शुद्ध रखने से तन और मन दोनों पवित्र और निर्मल होता है। 

- मां के विभिन्न स्वरूप हैं। इसमें त्रिदेवी, नवदुर्गा, दशमहविद्या और चौसठ योगिनी का समूह है। आदि शक्ति मां अंबिका को सर्वोच्च माना जाता है। उनके विभिन्न रूप हैं। मां सती, मां पार्वती, मां उमा और मां काली शंकर जी पत्नियां हैं। मां अंबिका को दुर्गा मां भी कहते हैं, क्योंकि दुर्गमासुर दैत्य का उन्होंने ही वध किया था। 

- नवरात्रि की 9 देवियां है, जिन्हें मां दुर्गा का अलग-अलग स्वरूप मानते हैं। इनमें मां शैलपुत्री, मां ब्रम्हाचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से उपासना होती है। धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी को ही महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं, क्योंकि उन्होंने ही महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था। 

- मां के विभिन्न स्वरूपों की पहचान उनके वाहन, भुजा और अस्त्र-शस्त्र से होती है। अष्टभुजी मां दुर्गा और कात्यायनी मां सिंह पर सवार हैं। मां पार्वती, मां चंद्रघंटा और कूष्मांडा मां शेर पर सवार हैं। मां शैलपुत्री और मां महागौरी वृषभ यानी बैल पर सवार हैं। मां कालरात्रि गधे पर, जबकि मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजती हैं। 

- मां के 9 स्वरूपों के आधार पर सभी देवियों को अलग-अलग 9 भोग लगते हैं। इसमें मां शैलपुत्री को कुट्टू तथा हरड़, मां ब्रह्मचारिणी को दूध-दही और ब्राह्मी, मां चंद्रघंटा को चौलाई और चंदुसुर, मां कूष्मांडा को पेठा, मां स्कंदमाता को श्यामक चावल तथा अलसी, मां कात्यायनी, जिन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं, को सब्जी और मोइया, मां कालरात्रि को काली मिर्च, तुलसी तथा नागदौन, मां महागौरी को साबूदाना एवं मां सिद्धिदात्री को आंवला तथा शतावरी का भोग लगाया जाता है। 

- नवदुर्गा में दशम विद्याएं हैं, जिनकी पूजा होती है। इनमें मां काली, मां तारा, मां छिन्नमस्ता, मां षोडशी, मां भुवनेश्वरी, मां त्रिपुरभैरवी, धूमावती माता, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला शामिल हैं। 

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