सार

वक्त ने ऐसी करवट ली कि आजम खां, उनका परिवार और समर्थक आज उसी IAS आन्जनेय कुमार सिंह के नाम से खौफ खाते हैं। इसी अधिकारी की वजह से रामपुर के सपा सांसद आजम खां करीब 23 महीने से जेल में बंद हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी चली गई। पत्नी डॉ. तजीन फातिमा को भी जेल जाना पड़ा। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद 19 फरवरी 2019 को आन्जनेय कुमार सिंह के काम और सख्त रवैए को देखते हुए उन्हें रामपुर का कलेक्टर बनाया गया था।

रामपुर: कभी नवाब खानदान की वजह से जाना जाता था रामपुर, लेकिन समय के साथ इस जिले की पहचान बन गए समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मोहम्मद आजम खां जब सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार होती थी तो रामपुर में आजम खां की तूती बोलती थी आजम खां को अपने बड़बोलेपन के लिए भी जाना जाता है। अतीत में कई मौकों पर वह ऐसी बयानबाजी कर चुके हैं, जो मीडिया की सुर्खियां बनीं।

मसलन मुलायम के 75वें जन्मदिन को भव्य बनाने के लिए करोड़ों खर्च करना और पत्रकारों के सवाल करने पर आजम खां का कहना कि उन्हें यह पैसा दाउद इब्राहिम से मिला है। इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान मोहम्मद आजम खां ने जिले के कलेक्टर का नाम लिए बिना उनसे अपने जूते साफ कराने की बात कह डाली थी। वह IAS कोई और नहीं वर्तमान में मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह थे।

आजम ने दी थी चुनाव बाद जूते साफ करवाने की धमकी
आन्जनेय कुमार सिंह तब रामपुर में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। वह अपने जिले में आदर्श आचार संहिता का पूरी सख्ती से पालन करवा रहे थे। आजम खां के समर्थकों को कई मौकों पर आन्जनेय कुमार सिंह की सख्ती से दो चार होना पड़ा था। इससे चिढ़े आजम खां ने कहा था, ''कलेक्टर-फलेक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं। अल्लाह ने चाहा तो चुनाव बाद इन्हीं से जूते साफ कराऊंगा।''

वक्त ने ऐसी करवट ली कि आजम खां, उनका परिवार और समर्थक आज उसी IAS आन्जनेय कुमार सिंह के नाम से खौफ खाते हैं। इसी अधिकारी की वजह से रामपुर के सपा सांसद आजम खां करीब 23 महीने से जेल में बंद हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी चली गई। पत्नी डॉ. तजीन फातिमा को भी जेल जाना पड़ा। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद 19 फरवरी 2019 को आन्जनेय कुमार सिंह के काम और सख्त रवैए को देखते हुए उन्हें रामपुर का कलेक्टर बनाया गया था।

आईएएस अधिकारी ने रामपुर में कैसे ढहाया आजम खां का साम्राज्य?
रामपुर के डीएम की कुर्सी पर बैठा कोई अधिकारी आजम के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर बेखौफ होकर एक्शन ले रहा था। जब 27 किसान डीएम आन्जनेय कुमार सिंह के पास यह शिकायत लेकर आए कि जौहर विश्वविद्यालय के लिए आजम खां ने उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा कर लिया है, तो उन्होंने एसडीएम से मामले की जांच करवाई और शिकायत सही पाई जाने पर सभी मामलों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया। 

रामपुर में आजम खां का दबदबा इस कदर था कि आन्जनेय सिंह से पहले कोई दूसरा अधिकारी उनके विरुद्ध कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। जब रामपुर के लोगों को लगा कि उनकी शिकायतों का संज्ञान लेने वाला कोई ईमानदार जिलाधिकारी आया है, तो फिर आजम खां के विरुद्ध शिकायतों का अंबार लग गया। आजम खां के खिलाफ एक के बाद एक केस दर्ज होते रहे और उनकी संख्या 98 पार कर गई।

जौहर यूनिवर्सिटी के कब्जे से मुक्त करवाई सरकारी जमीन
आन्जनेय कुमार सिंह की बेखौफ कार्रवाई का नतीजा ही था कि आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी में कैद 172 एकड़ सरकारी जमीन उनके कब्जे से छिन गई। सरकारी जमीने कब्जाने के मामले में तत्कालीन रामपुर डीएम ने आजम खां का नाम प्रदेश सरकार के एंटी भू-माफिया पोर्टल पर रजिस्टर कर उन्हें भू-माफिया घोषित कर दिया। इस IAS अफसर ने कानून का ऐसा चाबुक चलाया कि आजम के बेटे अब्दुल्ला की विधायकी छिन गई।

अब्दुल्ला आजम खां 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में रामपुर की स्वार टांडा सीट से सपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। अब्दुल्ला के सामने BSP से चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खान ने भारतीय चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि नॉमिनेशन के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 वर्ष नहीं थी। उन्होंने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाकर अपनी उम्र 25 वर्ष दिखाई थी और नामांकन किया था। इसलिए उनका निर्वाचन रद्द होना चाहिए। चुनाव आयोग ने इस मामले में तत्कालीन रामपुर डीएम आन्जनेय कुमार सिंह से जांच करने के लिए कहा।

रद्द करवाई अब्दुल्ला आजम की विधायकी
जांच में यह बात सामने आई कि अब्दुल्ला आजम खां ने फर्जी आयु प्रमाण पत्र पर चुनाव लड़ा था और वह नामांकन के समय 25 साल के नहीं थे। यह रिपोर्ट डीएम ने चुनाव आयोग को भेज दी। चुनाव आयोग ने कार्रवाई करते हुए अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर दी। जांच में अब्दुल्ला आजम के पास 2 पैन कार्ड और 2 पासपोर्ट होने की बात भी सामने आई। डीएम आन्जनेय कुमार सिंह ने इस मामले में भी मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। इसी मामले में रामपुर सीजेएम कोर्ट ने आजम खां, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को जेल भेज दिया था। तंजीन और अब्दुल्ला जमानत पर बाहर हैं, लेकिन आजम खां 23 महीने से सीतापुर जेल में बंद हैं।

आजम खां के खेमे को सता रहा आन्जनेय कुमार सिंह का खौफ
इसलिए आजम खां और उनके समर्थक नहीं चाहते कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के समय आन्जनेय कुमार सिंह मुरादाबाद के कमिश्नर बने रहें। दूसरी ओर भारतीय चुनाव आयोग आन्जनेय कुमार सिंह के कार्य पद्धति की तारीफ कर चुका है। बीते दिनों लखनऊ में हुई अफसरों की बैठक में चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनावों में रामपुर में किए गए प्रशासनिक इंतजामों की तारीफ की। बाकी अफसरों को निर्देश दिया कि वे भी निष्पक्ष, निर्भीक और शांतिपूर्ण चुनावों के लिए इसी तरह की व्यवस्थाएं करें। आपको फिर बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव के वक्त आन्जनेय कुमार सिंह रामपुर के जिलाधिकारी थे।

रामपुर से ट्रांसफर हुआ तो बग्घी में बैठाकर लोगों ने विदा किया
आन्जनेय कुमार सिंह सिक्किम कैडर के 2005 बैच के IAS अधिकारी हैं। अखिलेश यादव की सरकार में 16 फरवरी 2015 को वह प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश आए थे। आन्जनेय कुमार सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाले हैं। योगी सरकार में उन्हें 19 फरवरी 2019 को रामपुर का कलेक्टर बनाया गया था। रामपुर जिलाधिकारी बनाए जाने से पहले आन्जनेय कुमार सिंह बुलंदशहर, फतेहपुर के भी कलेक्टर रह चुके थे। वर्तमान में वह मुरादाबाद मंडलायुक्त हैं। जब उनका रामपुर से ट्रांसफर हुआ तो यहां के लोगों ने उन्हें बग्घी में बैठाकर  फूलों की बारिश करते हुए विदाई दी थी।

Special Story: आज भी अजेय हैं रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया', पिता की मर्जी के खिलाफ राजनीति में रखा था कदम