सार

यूपी के जिले सहारनपुर में डेढ़ साल का बकरा पूरे दिन में आधा लीटर दूध देता है। उसके देखने के लिए लोग दूर-दराज से आते है और उसकी कीमत मालिक ने एक करोड़ बताई है। पर उसको इतना भी नहीं पता कि एक करोड़ में कितने जीरो लगेंगे। 

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के जिले सहारनपुर से 15 किलोमीटर दूर मुगल माजरा गांव का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक ऐसा बकरा है, जो पूरे दिन में आधा लीटर दूध देता है। उसका नाम कालू है और उसकी उम्र डेढ़ साल का है। इसके अलावा 13 बकरी-बकरों का पिता भी है। इतना ही नहीं इसके अलावा उसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। इसकी चर्चा काफी दिनों से हो रही है और हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई है। 

इरशाद के पिता करते थे बकरी का काम 
शहर के बाहर इस गांव से पहले आधा किलोमीटर का जंगल है, जो बिल्कुल सुनसान है। बकरे के मालिक का नाम इरशाद है और इसको सब जानते इसलिए है क्योंकि वह दूध वाले बकरे की वजह से मशहूर है। इरशाद का घर हालात काफी खस्ता थे और खुले में ही उसके पिता मोहर्रम अली खाट पर बैठे थे। दूसरी ओर आसपास बकरी और इरशाद के बच्चे घूम रहे थे। दरअसल बाबा बकरे वाले यानी इरशाद से पहले उसके पिता मोहर्रम अली ही बकरी का काम करते थे। मगर जब उनकी तबीयत खराब रहने लगी तो इस काम से उन्होंने संन्यास ले लिया। 

डेंगू में बकरे कालू का दूध लोगों को दिया था फ्री में
इरशाद का कहना है कि कालू डेढ़ साल का है। उसके 13 बच्चे होने के साथ-साथ वह दूध भी देता है। कालू सुबह और शाम आधा लीटर। वह आगे बताता है कि दूध को उसके बच्चों को ही पिला देते हैं। नुकसान कुछ नहीं हुआ। इतना ही नहीं इरशाद यह भी बोला कि हम भी पी लेते हैं अपने कालू का दूध। डेंगू में तो लोगों को फ्री में दिया है। जब इसकी कीमत को लेकर पूछा तो तुरंत बोल दिया कि एक करोड़ में लेकिन उसे एक करोड़ में कितनी जीरो होते है, वह भी नहीं पता था।

दिव्यांग पेंशन भी मिलती है इरशाद के परिवार को
मुगल माजरा गांव की आबादी करीब 15 हजार की होगी। यहां पर दो प्रधान बनते हैं। एक मुगल में और दूसरा माजरा में। इरशाद का बकरा कालू जो दूध देता है वह माजरा में रहता है। कालू के मालिक इरशाद ने अपने परिवार की गुजर-बसर के लिए 60 बकरी और बकरे पाल रखे हैं। जिसमें से 50 बकरी और 10 बकरे हैं। इरशाद बकरी का दूध बेचकर महीने में 10 से 15 हजार रुपए कमा लेता है और पैरों से विकंलाग भी है। उसके चार बेटे और चार बेटी हैं। पूरे परिवार का बकरी पालन से ही चलता है। इसके अलावा दिव्यांग पेंशन भी मिलती है।

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