Exclusive: वेब सीरिज शूट करने पहुंचे अभिनेता नलनीश नील भोपाल को देखकर हुए मुग्ध, कह गए सबसे ये बात

प्रयोगवादी और प्रगतिशील अभिनेताओं में शुमार नलनीश नील(Nalneesh Neel) इन दिनों भोपाल में एक वेब सीरिज शूट कर रहे हैं, जिसमें वे लीड रोल में हैं। वे भोपाल पहली बार आए हैं। इस शहर की खूबसूरती; खासकर साफ-सफाई देखकर वे काफी प्रभावित हुए। hindi.asianetnews.com से उन्होंने अपने मन की बात शेयर की...

/ Updated: Jan 20 2022, 03:21 PM IST

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भोपाल. प्रयोगवादी और प्रगतिशील अभिनेताओं में शुमार नलनीश नील(Nalneesh Neel) किसी परिचय के मोहताज नहीं है। नील ने भोर, गुलाबो सिताबो, छिछोरे और हालिवुड प्रोजेक्ट द व्हाइट टाइगर में जिस तरह से अपना अभिनय प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को अपना कायल बना दिया। नील(Nalneesh Neel) इन दिनों भोपाल में एक वेब सीरिज शूट कर रहे हैं, जिसमें वे लीड रोल में हैं। वे भोपाल पहली बार आए हैं। इस शहर की खूबसूरती; खासकर साफ-सफाई देखकर वे काफी प्रभावित हुए। hindi.asianetnews.com से उन्होंने अपने मन की बात शेयर की...

पहली बार भोपाल आना हुआ
मैं पहली बार भोपाल में हूं। यहां के लोग अच्छे हैं। यहां के रोड देखे; साफ-सुथरे हैं। यहां की लेक्स(lakes) भी बहुत क्लीन हैं। यह बहुत अच्छी बात है कि जब आप साफ-सफाई रखते हैं, तो न कि इससे आप पर फर्क पड़ता है, बल्कि आपकी आने वाली जनरेशन पर भी फर्क पड़ता है। मैं पहली बार यहां पर शूट कर रहा हूं। यहां मुझे बहुत अच्छा लगा। यहां की गवर्नमेंट बहुत अच्छा काम रही है, क्योंकि गवर्नमेंट ही है, जो लोगों को सुधार सकती है। स्टिकली तो नहीं। हां, आप डंडा लेकर किसी को नहीं समझा सकते। प्यार से समझाया जा सकता है। क्योंकि यहां हर आदमी का ईगो बहुत बड़ा है।

पुराने समय की बात

पुराने समय में आपने देखा होगा कि जब भी कोई बूढे़-बुजुर्ग चरपाई से नीचे पैर रखते थे, तो सबसे पहले धरती को छूते थे। हमें भी धरती मां को प्रणाम करना चाहिए। जैसे हमारी मां केयर करती है, वैसे ही धरती भी केयर करती है। वो बदले में हमसे कुछ नहीं मांगती। जैसे हमारी मां कुछ नहीं मांगती। आखिरकार आप साफ-सफाई तो कर ही सकते हो।

मैं गांव का बंदा हूं। मैंने देखा है। जानवर एक्सप्रेस नहीं कर पाते, लेकिन वे हम सबसे ज्यादा समझदार हैं। आपने देखा होगा कि जब कुत्ता जमीन पर बैठता है, तो पूंछ हिलाकर पहले उसे साफ करता है। उसको बोलना नहीं पड़ता। गवर्नमेंट जो करेगी, वो तो अलग है, लेकिन हमें अपने स्तर पर करना चाहिए। कोविड के समय एयर पॉल्युशन कम हुआ था, क्योंकि उस समय व्हीकल्स नहीं चल रही थीं। आज एक-एक घर में 4 मेंबर हैं, तो 4 कारें हैं क्यों? ये ईगो दूर करना है। गांधीजी ने कहा था कि अगर कोई आपके एक गाल पर मारे, तो दूसरा गाल आगे कर दो। उनका आशय यही नहीं कि आप पिटते रहे। वे चाहते थे कि आप अपना ईगो मारो।


 

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