ना मां का साया, ना पिता का आसरा, एक महीने में ही किस्मत ने छीन ली दुनिया

वीडियो डेस्क। एक महीने में 4 मासूमों की जिंदगी बदल गई। ना तन पर कपड़ा ना खाने के लिए एक निबाला। मां हमेशा के लिए छोड़कर चली गई है और पिता अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। मामला मध्यप्रदेश के बालाघाट का है। जहां कुकड़ा गांव में बैगा आदिवासी रहते हैं। जो बेहद गरीब हैं। यहीं इन्हीं आदिवासी परिवार में से एक महिला ने पिछले महीने बच्चे को जन्म दिया और कुछ दिन बाद महिला की मौत हो गई। 

/ Updated: Jun 24 2020, 02:28 PM IST
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वीडियो डेस्क। एक महीने में 4 मासूमों की जिंदगी बदल गई। ना तन पर कपड़ा ना खाने के लिए एक निबाला। मां हमेशा के लिए छोड़कर चली गई है और पिता अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। मामला मध्यप्रदेश के बालाघाट का है। जहां कुकड़ा गांव में बैगा आदिवासी रहते हैं। जो बेहद गरीब हैं। यहीं इन्हीं आदिवासी परिवार में से एक महिला ने पिछले महीने बच्चे को जन्म दिया और कुछ दिन बाद महिला की मौत हो गई। बच्चों को पिता इंदलसिंह संभाल रहे थे लेकिन लकड़ी काटते वक्त पिता पर रीछ ने हमला कर दिया जिससे इंदल सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। 4 बच्चों की देखभाल बच्चों की ताई कर रही है। हालांकि जब ये वाकया मीडिया में पहुंचा तो परिवार को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। बच्चों को कपड़े और खाने का सामान भी दिया गया।