450 साल पुरानी है यह अग्निपथ परंपरा, 141 कुंडों में दहकते अंगारों पर यूं दौड़ते हैं सैकड़ों भक्त

बुंदेलखंड के सागर जिले में श्री खंडेराव मंदिर में लगता है यह अनूठा मेला। इस बार यह मेला 2 से 11 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान मन्नत पूरी होने पर सैकड़ों लोग अंगारों पर चलेंगे।

/ Updated: Dec 04 2019, 11:19 AM IST

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सागर(मप्र). बुंदेलखंड का प्रसिद्ध अग्नि मेला 2 से 11 दिसंबर तक चलेगा। यह मेला सागर जिले की देवरी तहसील स्थित श्री खंडेराव मंदिर में आयोजित किया जाता है। यह मेला इसलिए खास है, क्योंकि मनोकामना पूरी होने पर लोग अंगारों पर चलते हैं। पुरुष हों या महिला..सभी दहकते अंगारों पर दौड़ लगाते हैं। अंगारों पर चलते समय भक्त हल्दी उड़ाते हैं। साथ ही भगवान खंडेराव के जयकारे लगाते हैं। देवरी के पूर्व विधायक सुनील जैन ने बताया कि वे खुद तीस सालों से इस परंपरा का हिस्सा रहे हैं। बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 15-15वीं सदी के बीच हुआ था। तब बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल थे। उस समय मुगलों से युद्ध हारते देख छत्रसाल ने बाजीराव पेशवा ने मदद मांगी थी। पेशवा की मदद से छत्रसाल मुगलों को हराने में सफल रहे। इस खुशी में छत्रसाल ने बुंदेलखंड का कुछ हिस्सा बतौर नजराने बाजीराव को सौंप दिया। इसमें पंच मेहला में देवपुरी यानी देवरी बाजीराव के अधीन हो गई। पेशवा ने यहां पर यशवंतराव को राजा नियुक्त किया था। कहते हैं कि एक बार यशवंतराव के पुत्र बीमार हो गए। तब देव खंडेराव ने उन्हें दर्शन दिए। भगवान कहा कि अगर वे अग्नि कुंड में हल्दी छोड़ें, तो उनका बेटा ठीक हो जाएगा। ऐसा हुआ भी। इसी के बाद यह परंपरा चली आ रही है। भगवान खंडेराव के मंदिर में एक विशेष छिद्र है। यहां साल में एक बार सूरज की किरण निकलकर शिवलिंग के पांच पिंडों पर दोपहर ठीक 12 बजे पड़ती है।