इस पूरे मंदिर में भगवान को खुश करने के लिए चढ़ती है हल्दी, विराजमान शिव का ही दूसरा रूप

वीडियो डेस्क।   भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में कोई न कोई  रहस्य समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर महाराष्ट्र के पुणे जिले में जेजुरी  नगर में है। इसे खंडोबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। मराठी में इसे 'खंडोबाची जेजुरी'  कहकर पुकारा जाता है। मंदिर एक छोटी-सी पहाड़ी पर करीब 2,356 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए दो सौ के करीब सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। यहां  विराजमान देवता को भगवान खंडोबा कहा जाता है। उन्हें मार्तण्ड भैरव और मल्हारी जैसे नामों से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव का ही दूसरा रूप है। भगवान खंडोबा की मूर्ति घोड़े की सवारी करते एक योद्धा के रूप में है। उनके हाथ में राक्षसों को मारने के लिए कि एक बड़ी सी तलवार है| मान्यता है कि धरती पर मल्ल और मणि नाम के दो राक्षस भाईयों का अत्याचार काफी बढ़ गया था, जिसे खत्म करने के लिए भगवान शिव ने मार्तंड भैरव का अवतार लिया था। भगवान खंडोबा को एक उग्र देवता के रूप में माना जाता है, इसलिए इनकी पूजा के नियम बेहद ही कड़े हैं। उन्हें हल्दी और फूल तो चढ़ाया ही जाता है।

/ Updated: Feb 13 2021, 02:13 PM IST

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वीडियो डेस्क।   भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में कोई न कोई  रहस्य समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर महाराष्ट्र के पुणे जिले में जेजुरी  नगर में है। इसे खंडोबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। मराठी में इसे 'खंडोबाची जेजुरी'  कहकर पुकारा जाता है। मंदिर एक छोटी-सी पहाड़ी पर करीब 2,356 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए दो सौ के करीब सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। यहां  विराजमान देवता को भगवान खंडोबा कहा जाता है। उन्हें मार्तण्ड भैरव और मल्हारी जैसे नामों से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव का ही दूसरा रूप है। भगवान खंडोबा की मूर्ति घोड़े की सवारी करते एक योद्धा के रूप में है। उनके हाथ में राक्षसों को मारने के लिए कि एक बड़ी सी तलवार है| मान्यता है कि धरती पर मल्ल और मणि नाम के दो राक्षस भाईयों का अत्याचार काफी बढ़ गया था, जिसे खत्म करने के लिए भगवान शिव ने मार्तंड भैरव का अवतार लिया था। भगवान खंडोबा को एक उग्र देवता के रूप में माना जाता है, इसलिए इनकी पूजा के नियम बेहद ही कड़े हैं। उन्हें हल्दी और फूल तो चढ़ाया ही जाता है।