राष्ट्रपति ने119 लोगों को दिया पद्म Award लेकिन चर्चा सिर्फ इन चुनिंदा लोगों की ही क्यों?

वीडियो डेस्क।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 119 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया है। इस बार 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पद्म पुरस्कारों से सम्मानित करने का समारोह राष्ट्रपति भवन में हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी इस सम्मान समारोह में मौजूद रहे।

/ Updated: Nov 10 2021, 07:12 PM IST

Share this Video
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Email

वीडियो डेस्क।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 119 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया है। इस बार 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पद्म पुरस्कारों से सम्मानित करने का समारोह राष्ट्रपति भवन में हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी इस सम्मान समारोह में मौजूद रहे। 119 हस्तियों को पद्म पुरस्कार मिले लेकिन सोशल मीडिया पर चर्चा कुछ चुनिंदा लोगों की है। जिन्होंने समाज के हित के लिए काम किया है। आइये जानते हैं इन हस्तियों के बारे में। 

तुलसी गौड़ा(Tulsi Gowda)

 राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित हुई 72 साल की आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा का नाम दुनियाआदर से ले रही है। उन्हें पर्यावरण की सुरक्षा में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। जब वे अवॉर्ड लेने पहुंची तो तालियों की आवाज गूंज उठी। पारंपरिक साड़ी, बेहद ही सरल चाल और नंगे पांव तुलसी गौड़ा अवॉर्ड लिया। उनकी सादगी ने हर किसी का दिल जीत लिया। तुलसी गौड़ा 12 साल की उम्र से पेड़-पौधे लगा रही हैं। अब तक उन्होंने हजारों पेड़ लगाए और उनका ख्याल रखते हुए उन्‍हें बड़ा किया। 

मोहम्मद शरीफ (Mohammed Sharif )
पद्म श्री से नवाजे गए अयोध्या के रहने वाले चीचा मोहम्मद शरीफ। इन्हें लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले व लावारिश लाशों के मसीहा के रूप में जाना जाता है। 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया गया। अब तक उन्होंने 5 हज़ार से ज़्यादा लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार किया है। मोहम्मद शरीफ ने 1993 में अपने बेटे का अंतिम संस्कार न कर पाने से आहत होकर ये तय किया कि अब कोई भी लाश लावारिश नहीं रहेगी। 

हरेकाला हजब्बा (Harekala Hajabba)
पद्मश्री से सम्मानित हुए हरेकाला हजब्बा जब अवॉर्ड लेने पहुंचे तो तालियां बजती रहीं। साधारण से दिखने वाले इस व्यक्ति को जब राष्ट्रपति ने सम्मानित किया तो वे किसी पहचान के मोहताज नहीं रहे। हरेकाला हजब्बा खुद पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन संतरे बेचकर अपनी जमा पूंजी से गांव में एक स्कूल बनवाया, ताकि ग्रामीण बच्चे स्कूली शिक्षा हासिल कर सकें। उन्हें अक्षर संत के नाम से भी जाना जाता है। 

भूरी बाई (Bhuri Bai)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुईं 'भुरी बाई' की हर तरफ चर्चा है। भूरी बाई को कला के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए पद्मश्री दिया गया है। आदिवासी समुदाय से आने वाली भूरी बाई, मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव की रहने वाली हैं। बचपन से ही भूरी बाई चित्रकारी करने की शौकीन थी।  

ट्रांसजेंडर मंजम्मा (Manjamma Jogati)

पद्म श्री लेने वालों में चर्चा मंजम्मा की भी है। पुरस्कार लेने के लिए मंजम्मा के नाम की घोषणा हुई तो उन्होंने खास अंदाज में यह पुरस्कार स्वीकार किया। मंजुम्मा राष्ट्रपति के सामने खास अंदाज में इपनी साड़ी के पल्लू से नजर उतारती नजर आईं। जब उन्होंने राष्ट्रपति की नजर उतारी तो भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। 

केवाई वेंकटेश (KY Venkatesh)
कर्नाटक के पैरा एथलीट केवाई वेंकटेश को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। छोटे कद के खिलाड़ी ने सबका ध्यान आकर्षित कर दिया।  राष्ट्रपति खुद वेंकटेश के साथ मंच से नीचे उतारकर बराबर सतह पर आ गए और पैरा एथलीट को पद्मश्री का बैज पहनाया।