CRPF को मिल रहा 17 ग्रामीणों की हत्या का ईनाम

छत्तीसगढ़ पुलिस ने 28 जून, 2012 को बीजापुर जिले के सरकेगुडा में एक मुठभेड़ में गोलीबारी कर 17 लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले की न्यायिक जांच न्यायमूर्ति विजय कुमार अग्रवाल ने की। 

/ Updated: Dec 10 2019, 07:52 PM IST
Share this Video
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Email

नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ पुलिस ने 28 जून, 2012 को बीजापुर जिले के सरकेगुडा में एक मुठभेड़ में गोलीबारी कर 17 लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले की न्यायिक जांच न्यायमूर्ति विजय कुमार अग्रवाल ने की। सात साल तक चली सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति विजय कुमार अग्रवाल की न्यायिक जांच की रिपोर्ट के अनुसार इसे माओवादियों के खात्मे के लिए मुठभेड़ बताया गया।

सरकेगुडा गांव में 17 लोगों की मौत पर सवाल उठने के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था।

सीआरपीएफ द्वारा मारे गए 17 ग्रामीणों में से कम से कम 10 को उनकी पीठ पर गोली मारी गई थी, जिससे पता चलता है कि गोलीबारी जानबूझकर और बिना किसी उकसावे के की गई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि गोलीबारी काफी नजदीक से की गई थी न कि दूर से, जैसा कि सीआरपीएफ ने दावा किया था।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह भी पता चला कि गोली मारे जाने से पहले कई मृतकों के साथ मारपीट की गई थी। उन्हें राइफलों के बट से मारा गया था। इस बात को आयोग ने भी माना है।

कमजोर निष्कर्षों के बावजूद, आयोग ने सीआरपीएफ के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की सिफारिश नहीं की है। इसके बजाय, इसने सीआरपीएफ को बेहतर उपकरण, वॉकी टॉकी, नाइट विजन, बुलेट प्रूफ जैकेट से लैस करने और अच्छे प्रशिक्षण के साथ संवेदीकरण कार्यक्रम चलाने की सिफारिश की है।