यूं हीं प्रसिद्ध है मैसूर का शाही दशहरा, ये बातें बताती हैं कितना अलौकिक और अद्भुत है ये उत्सव

दशहरे के दिन का खास आकर्षण होता है शाही दरबार और मैसूर पैलेस से लेकर बन्नीमंडप मैदान तक निकलने वाली सवारी। इस सवारी में हाथी, घोड़े, ऊंट और नर्तक शामिल होते हैं। एक हाथी पर मां चांमुंडेश्वरी देवी की प्रतिमा विराजमान होती है।

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वीडियो डेस्क। देशभर में दशहरे की धूम है। 5 अक्टूबर को दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है। वैसे तो देशभर में हर जगह दशहरा बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है लेकिन मैसूर का दशहरा सबसे ज्यादा फेमस है। यहां दशहरे का जश्न नवरात्र के पहले दिन से शुरू होता है और दशहरे तक चलता है। यहां काफी भव्य तरीके से दशहरा मनाया जाता है। खास बात ये है कि यहां रावण को नहीं जलाया जाता बल्कि आज के दिन चांमुंडेश्वरी देवी की पूजा होती है जिन्होंने आज के दिन महिषासुर नाम के राक्षण का वध किया था। कहते है कि मां चामुंडा और महिषासुर का युद्ध 9 दिन तक चला और 10वें दिन माता ने महिषासुर का वध कर दिया। जिसके बाद से यहां दशहरा मनाया जाता है। उत्सव के लिए भी पूरे मैसूर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजा दिया जाता है पूरा शहर दुल्हन की तरह सजता है। दशहरे के दिन का खास आकर्षण होता है शाही दरबार और मैसूर पैलेस से लेकर बन्नीमंडप मैदान तक निकलने वाली सवारी। इस सवारी में हाथी, घोड़े, ऊंट और नर्तक शामिल होते हैं। एक हाथी पर मां चांमुंडेश्वरी देवी की प्रतिमा विराजमान होती है। बन्नीमंडप मैदान के बारे में कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां पांडवों ने अज्ञातवास प्रस्थान से पहले अपने अस्त्र-शस्त्र छिपाए थे। 

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