नहीं रहे समाजवाद के पुरोधा Sharad Yadav, खामोश हुई संसद की बुलंद आवाज
1 जुलाई 1947 को होशंगाबाद के बंदाई गांव के एक किसान परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ था. मां- बाप ने नाम रखा शरद यादव... बचपन से ही पढ़ाई में होशियार शरद ने शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग का सपना देखा...और जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
Sharad Yadav Death: 1 जुलाई 1947 को होशंगाबाद के बंदाई गांव के एक किसान परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ था. मां- बाप ने नाम रखा शरद यादव... बचपन से ही पढ़ाई में होशियार शरद ने शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग का सपना देखा...और जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया। यहां से बीई की डिग्री हासिल की...मध्यप्रदेश में जन्में इस शख्स ने स्टूडेंट पॉलिटिक्स से अपना शुरुआती राजनीतिक जीवन शुरु किया ...और देखते ही देखते संसद की बुलंद आवाज बन गए... उन्होंने अपनी पूरी सियासत की धुरी बिहार और उत्तरप्रदेश को बनाई...लेकिन उनका सिक्का मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश के दम पर राष्ट्रीय राजनीति में भी चला...आज संसद की तक सफर तय करने वाले शरद यादव की आवाज खामोश हो गई है..इसकी पुष्टी गुरुवार देर रात उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने की... उनका निधन अस्पताल में इलाज के दौरान हुआ। सुभाषिनी पोस्ट में लिखा- पापा नहीं रहे..