प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर Afghanistan के मुद्दे पर आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इसमें वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी और Taliban से आगे रिश्तों पर सरकार ने अपनी बात रखी।
Afghanistan के मौजूदा हालत ने Corona Virus से सबका ध्यान हटा दिया था, लेकिन ऐसा नहीं है। अफगानिस्तान में भी कोरोना फैला हुआ है और वहां से दूसरे देशों में जा रहे लोग भी संक्रमण लेकर पहुंच रहे हैं।
Afghanistan पर कब्जा करने के बाद अमेरिका सहित तमाम देशों को धमका रहे Taliban पर आर्थिक संकट गहरा सकता है। US सहित 60 देशों ने उसे मिलने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है।
अफगानिस्तान में पंजशीर उन चंद इलाकों में है जहां अभी तक तालिबान की एक न चली है। वह कभी इस क्षेत्र पर कब्जा नहीं जमा सका है। तालिबान लगातार इस क्षेत्र पर प्रभुत्व की कोशिश में लगा हुआ है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट में लिखा, ‘अफगानिस्तान के घटनाक्रम को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स को जानकारी देने का निर्देश दिया है। '
"आईडियोलॉजिकली, ISIS, अल कायदा और तालिबान के बीच का अंतर कोक और पेप्सी जैसा है। अगर आप इनका लेबल हटाते हैं, तो क्या आप बता सकते हैं कि कौन सा कोक है और कौन सा पेप्सी है?"
Afghanistan पर Taliban के कब्जे के बाद से भारतीयों को सुरक्षित निकालने का सिलसिला जारी है। रविवार को तीन विमानों से 329 भारतीय स्वदेश लाए गए।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 168 लोगों को लेकर वायुसेना का विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंच चुका है। इनमें 107 भारतीय हैं। इन लोगों में भारतीय मूल के अफगानी सांसद नरेंदर सिंह खालसा, अनारकली होनरयार और इनका परिवार भी देश छोड़कर यहां आया हैं।
तालिबानी शासन के बाद विदेशी मीडिया को भी विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया हाउसेस पर भी तालिबान का पूर्ण नियंत्रण है। महिला एंकर्स को स्टूडियो से हटा दिया गया है। महिला रिपोर्टर्स के कपड़ों को लेकर सख्त नियम जारी किए गए हैं। बीते दिनों अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान भी कई मीडिया कर्मियों को जान से हाथ धोनी पड़ी थी।
एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा था कि अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण से पहले भारत को तालिबान के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए थी। सभी अंतरराष्ट्रीय और सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि बातचीत होनी चाहिए थी। लेकिन, पिछले सात वर्षों से केंद्र सरकार यह पढ़ने में विफल रही है कि क्या हो रहा है।