भारत में कोरोना संक्रमण को लेकर स्थितियां अभी भी चिंताजनक हैं। लेकिन यह अच्छी बात है कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ जितनी तेजी से कॉर्डिनेशन किया, उसने ऑक्सीजन और दवाओं को लेकर खड़े हुए संकट से उबारना शुरू कर दिया है। यही नहीं, लॉकडाउन के चलते गरीबों को भोजन के संकट से भी निजात दिलाई है। अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई से लेकर वैक्सीनेशन, गरीबों को अनाज और संक्रमण रोकने पिछले कुछ दिनों के अंदर केंद्र सरकार ने क्या एक्शन लिए..जानिए एक रिपोर्ट...
भारत बायोटेक ने राज्य के अस्पतालों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए कोवैक्सीन की डोज की कीमत को तय कर दिया है। राज्य सरकार के अस्पतालों में कोवैक्सीन की डोज 600 रुपये प्रति डोज उपलब्ध कराई जाएगी जबकि प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1200 रुपये तय किया गया है।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए जेल में कैदियों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है। राज्यभर के 1685 कैदियों को कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन का डोज दिया गया है। इनमें से 1230 कैदी अंडर ट्रायल हैं जबकि 455 सजायाफ्ता।
देश में कोरोना के बेतहाशा बढ़ते मामलों और राज्यों की बदइंतजामी पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। चेन ब्रेक करने के लिए लाॅकडाउन के फैसले को केंद्र पर थोपने से ट्वीटर पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। लोग राज्यों पर नाराजगी जता रहे हैं और कांग्रेस शासित प्रदेशों को ट्रोल कर रहे।
देश में कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखी है। हर ओर हाहाकार मचा हुआ है। अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं। बेड के लिए अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं। आक्सीजन, बेड के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट और कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गए हैं, घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है।
पीएम मोदी ने राज्यपालों व उप-राज्यपालों से अपील की है कि राज्य सरकारों के साथ मिलकर कोरोना महामारी को कंट्रोल करने के लिए उठाए जा रहे कदम की निगरानी करें। पीएम ने कहा कि राज्यपाल प्रदेश सरकारों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सामाजिक संस्थानों के साथ मिलकर किस तरह महामारी को मात दी जा सकती है।
देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महामारी के चलते बिगड़ते हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सभी राज्यपालों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी शामिल होंगे। हालांकि, भारतीय संविधान के मुताबिक, प्रधानमंत्री सीधे तौर पर राज्यपालों के साथ बैठक नहीं बुला सकते। हालांकि, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बैठक के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।
केंद्र ने राज्यों को अबतक 13,10,90,000 वैक्सीन का डोज उपलब्ध कराया है। लेकिन 11.43 करोड़ डोज की उपयोग हो सका है, बाकी वैक्सीन राज्यों की अव्यवस्था की वजह से खराब हो गए। करीब 8-9 प्रतिशत वैक्सीन वेस्टेज में चला गया।
भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन कैम्पेन चल रहा है। जनसंख्या के लिहाज से यह एक बड़ी चुनौती है। बावजूद भारत ने 85 दिनों में 10 करोड़ डोज देकर एक दुनिया के सभी देशों को पीछे छोड़ दिया है। भारत इस आंकड़े को 10 अप्रैल को क्रॉस कर चुका है। यानी भारत सबसे कम समय में इतने डोज लगाने वाला देश बन गया है। भारत ने इस मामले में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया। अमेरिका को इतने डोज लगाने में 89 दिन, जबकि चीन को 106 दिन लगे थे।
चीन को दुनियाभर में कोरोना संक्रमण जैसी महामारी फैलाने का जिम्मेदार माना जाता रहा है। यह और बात है कि वो खुद भी इस संक्रमण की चपेट में है। तमाम देश इस संक्रमण को रोकने वैक्सीन ईजाद करने में लगे हैं। भारत इस मामले में अग्रणी है। भारत में बनीं वैक्सीन प्रभावी मानी जा रही हैं। इस मामले में भी चीन नाकाम साबित हो रहा है। चीन में निर्मित 'सिनोवैक' अपना असर नहीं दिखा पा रही है। ऐसा चीन के हेल्थ अफसरों ने स्वीकार किया है। चीन ने अभी दूसरे देशों की वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी नहीं दी है।