भारत में कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन जारी है। इसी बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर इन प्रदर्शनों को लेकर टिप्पणी की है। ट्रूडो ने कहा, कनाडा भारत में प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करता है। यह दूसरा मौका है, जब ट्रूडो ने किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया है।
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में पूरा धान नहीं बिकने से परेशान एक किसान द्वारा फांसी लगाकर अपनी जान देने का मामला सामने आया है। बताते हैं कि किसान ने 100 क्विंटल धान बेचने की तैयारी की थी, लेकिन पटवारी की गलती से सरकारी रिकॉर्ड में रकबा घट जाने से केवल 11 क्विंटल धान बेचने का टोकन कटा था। इस बीच कलेक्टर ने कहा किसान के बेटे की मौत हो गई थी। इससे वो डिप्रेशन में था और नशा करने लगा था।
शादियों को यादगार बनाने परिजन तरह-तरह के जतन करते हैं। लेकिन यह शादी बिलकुल अलग है। यहां लड़का और लड़की वालों ने यह शादी किसान आंदोलन को समर्पित कर दी। इंजीनियर दूल्हा ट्रैक्टर पर बरात लेकर निकला। बराती जय जवान-जय किसान का नारा लगा रहे थे। अब दूल्हा अपनी दुल्हन के साथ आंदोलन में शामिल होने जाएगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन का शुक्रवार को 9वां दिन है। सरकार के साथ शनिवार को होने वाली बैठक से पहले किसानों ने आज बड़ा ऐलान करते हुए 8 दिसंबर को भारत बंद करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि अब दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे। किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने यह जानकारी दी।
अपने हक की लड़ाई लड़ रहे पंजाब के किसान अपनी जान की कीमत लगा रहे हैं। एक किसान की मौत पानी की बौछारें पड़ने से तो दूसरे की कार में लगी आग से जिंदा जलने से हुई। वहीं कुछ किसान बेचारे भूखे-प्यासे ही मर गए।
नेशनल डेस्क। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का आज आठवां दिन है। 40 किसान नेताओं की सरकार के साथ विज्ञान भवन में दोपहर 12.30 बजे से बातचीत चल रही है। सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अध्यक्षता कर रहे हैं। बीच में लंच ब्रेक हुआ था, लेकिन किसानों ने सरकारी दावत खाने से मना कर दिया। वे अपना खाना साथ लाए थे, वही खाया। उन्होंने कहा कि सरकार का खाना या चाय मंजूर नहीं है। आपको बता दें केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों (farm bills) के खिलाफ पिछले सात दिनों से सड़क पर उतरे किसानों के प्रतिनिधिमंडल को आज केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए बुलाया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली घेरकर बैठे किसानों ने देश में जनक्रांति की एक नई कहानी पेश की है। ऐसा ही एक सफल आंदोलन सरदार पटेल ने मुंबई सरकार के खिलाफ किया था। 12 फरवरी, 1928 को महात्मा गांधी के आह्वान पर बारदोली सत्याग्रह हुआ था। बढ़े हुए लगान के खिलाफ किसानों ने यह आंदोलन किया था।
60 साल के किसान गुरजंत सिंह की बहादुरगढ़ बॉर्डर पर मौत हो गई। वह पिछले दो महीने से इस आंदोलन का हिस्सा थे। कुछ दिन पहले वो खनौरी बॉर्डर से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 8वें दिन भी जारी रहा। कृषि कानूनों के मुद्दे पर गुरुवार को सरकार और किसान संगठनों की बैठक हुई। दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 12 बजे शुरू हुई ये बैठक करीब साढ़े सात घंटे चली। बैठक खत्म होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद 5 दिसंबर, शनिवार को दोपहर 2 बजे पांचवें दौर की बातचीत होगी।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को दुनियाभर में समर्थन मिल रहा है। खासतौर से कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दूसरे देशों में बसे पंजाबी सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन का सपोर्ट कर रहे हैं।