घर के 5 लोग कोरोना संक्रमित थे। सिर्फ पापा को कुछ नहीं हुआ था, जबकि पापा ही इकलौते ऐसे शख्स थे, जो ड्यूटी के लिए लगातार घर से बाहर रहते थे। एक अच्छी बात ये रही कि कोरोना के लक्षण दिखने के बाद से ही रिपोर्ट भले न आई हो, लेकिन सभी आइसोलेट हो गए थे।
प्रदेश के कई सेंटरों पर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ी। दोपहर बाद भीड़ देखी गई। लखनऊ के इकाना स्टेडियम में मंगलवार की दोपहर अचानक भीड़ उमड़ी। जहां कड़ी मशक्कत के बाद नोडल अधिकारियों की मदद से गेट बंद कराया गया।
कोरोना की दूसरी लहर का असर कम नहीं हुआ है। राज्यों में अनलॉक की स्थिति बन रही है। कोरोना वायरस के अधिकतर मरीजों की मौत सांस की कमी से हुई है।
ये थेरेपी दो दवाओं कासिरिविमैब और इमदेविमाब का कॉकटेल है। कॉकटेल थेरेपी में COVID-19 रोगियों को हॉस्पिटल में भर्ती होने और मौत के आंकड़ों को 70 प्रतिशत तक कम करने का दावा किया गया है।
तमिलनाडु में स्थिक ईशा आश्रम कोविड से अछूता रहा। यहां 3,000 से अधिक स्वयंसेवक हैं, लेकिन उन्होंने कोरोना का शानदार तरीके से मुकाबला किया। यहां के लोगों का मानना है कि ये उनके खुद के लगाए गए सख्त लॉकडाउन प्रोटोकॉल का नतीजा है।
डब्ल्यूएचओ ने इन वेरिएंट्स के साइंटिफिक नामों में कोई बदलाव नहीं किया है। यह नामकरण सामान्य तौर पर जानने समझने के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
जिन जनपदों में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 30 जून तक 600 से अधिक है उन्हें फिलहाल कोई छूट अनुमति नहीं होगी। हालांकि अन्य शहरों को वीकेंड लॉकडाउन की नई गाइडलाइन के साथ खोला जाएगा।
हैरान कर देने वाला यह मामला भरतपुर के पॉलीटेक्निक कॉलेज में बनाए गए कोविड सेंटर का है। जहां यह सांप घुसा हुआ था। मरीज और मेडिकल स्टाफ डर के चलते इधर-उधर भागने लगे। वहीं कुछ लोगो ने इसकी सूचना वन विभाग को दी।
कोरोना महामारी के चलते वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। केंद्र सरकार की ओर से पेश आंकड़ों के मुताबिक, जीडीपी ग्रोथ रेट -7.3% फीसदी रही। हालांकि, चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी ग्रोथ रेट 1.6 फीसदी दर्ज की गई।
कोरोना में काफी संख्या में कामकाजी महिलाओं और युवतियों की नौकरी गई है। घर की कमाने वाली सदस्य होने के नाते उन पर परिवार की जिम्मेदारी ने सरोगेट मदर बनने को मजबूर किया है।