तालिबान के प्रवक्ता ने दावा किया कि 11 सितंबर के आतंकवादी हमलों के पीछे बिन लादेन के होने का कोई सबूत नहीं है। बता दें कि लादेन ने एक टेप जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर Afghanistan के मुद्दे पर आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इसमें वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी और Taliban से आगे रिश्तों पर सरकार ने अपनी बात रखी।
अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने वाले तालिबान ने साफ तौर पर धमकाया था कि अगर अमेरिकी सेना या नाटो सेना 31 अगस्त के बाद देश छोड़कर नहीं जाते हैं और उनका बचाव कार्य जारी रहा तो अंजाम बहुत बुरा होगा।
Afghanistan के मौजूदा हालत ने Corona Virus से सबका ध्यान हटा दिया था, लेकिन ऐसा नहीं है। अफगानिस्तान में भी कोरोना फैला हुआ है और वहां से दूसरे देशों में जा रहे लोग भी संक्रमण लेकर पहुंच रहे हैं।
Afghanistan पर कब्जा करने के बाद अमेरिका सहित तमाम देशों को धमका रहे Taliban पर आर्थिक संकट गहरा सकता है। US सहित 60 देशों ने उसे मिलने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है।
अमेरिका के सहयोगी और नाटो देश दबाव डाल रहे हैं कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त के बाद कुछ दिन और काबुल में रहें। यह इसलिए क्योंकि वे अपने नागरिकों और मददगार अफगानियों को वापस ला सकें।
Afganistan पर Taliban के कब्जे के बावजूद संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की चुप्पी पर अब सवाल उठने लगे हैं। Taliban कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के कारण ही पैदा हुआ। पढ़िए एक Opinion
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक पर शेयर की गई पोस्ट में बताया गया है कि कैसे दो लड़कों ने भागकर अपनी जान बचाई। वहीं बाकियों को पीटा गया। उनकी गर्दन पर चाबुक मारा गया और उन्हें धमकी दी।
पंजशीर घाटी के लड़ाकों और स्थानीय लोगों ने मिलकर कुछ दिनों पहले तालिबान के कब्जे से 3 जिलों को छुड़ा लिया था।
नाहिदा और सफीउल्लाह का कहना है कि उन्हें डर है कि उनका दो साल का बेटा उमर और 11 महीने की बेटी हाना अपने दादा-दादी को फिर कभी नहीं देख पाएंगे।