14 मई, गुरुवार की रात से गुरु मकर राशि में वक्री हो जाएगा। 29 जून 2020 तक यानी 46 दिनों तक गुरु इस राशि में ही वक्री रहेगा। उसके बाद वक्री रहते ही यह धनु में चला जाएगा।
सोमवार को पहले मूल नक्षत्र होने से लुंबक और उसके बाद पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र होने से उत्पात नाम के 2 अशुभ योग बन रहे हैं। सोमवार की शाम को शनि ग्रह अपनी ही राशि यानी मकर में वक्रीय हो जाएगा।
6 मई, बुधवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस तिथि पर नृसिंह चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। बुधवार को पहले चित्रा नक्षत्र होने से कालदण्ड और उसके बाद स्वाती नक्षत्र होने से धूम्र नाम के 2 अशुभ योग बन रहे हैं।
शुक्रवार को अश्लेषा नक्षत्र होने से मृत्यु नाम का अशुभ योग बन रहा है। शुक्रवार की रात को लगभग 8.45 पर चंद्रमा राशि बदलकर कर्क से सिंह में प्रवेश करेगा।
11 अप्रैल, शनिवार को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन सूर्योदय अनुराधा नक्षत्र में होगा। शनिवार को अनुराधा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग बन रहा है।
29 मार्च, रविवार से गुरु ग्रह राशि बदल चुका है। पहले ये ग्रह धनु राशि में था, अब ये ग्रह राशि परिवर्तन कर मकर राशि में आ चुका है।
इस बार 25 मार्च, बुधवार से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होगी। इसी दिन घट स्थापना होगी और हिंदू नववर्ष आरंभ होगा। इस बार चैत्र नवरात्रि में एक विशेष संयोग बन रहा है।
1 जनवरी को शनि, सूर्य के पास 15 डिग्री पर आने से अस्त हो गया था, जिससे 12 राशियों पर शनि का पूरा प्रभाव नहीं पड़ रहा था।
25 दिसंबर, बुधवार को बुध राशि बदलेगा। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। बुध वृश्चिक राशि से निकलकर धनु में प्रवेश करेगा।
वर्तमान में धनु राशि में गुरू, केतु, सूर्य और शनि हैं। इन ग्रहों के कारण चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इससे पहले धनु राशि में शनि और केतु ही थे। फिर शुक्र के आने से चर्तुग्रही योग बन गया था।