जल्लाद हर जेल में नहीं पाए जाते, कई बार इन्हें एक जेल से दूसरी जेल बुलाया जाता है। फांसी का समय तय होता है इतने बजे, इतने मिनट, इतने सेकेंड तयशुदा समय पर जल्लाद को फांसी देनी होती है। कई बार मुजरिम जल्लाद के सामने दहाड़े मारकर रोने लगते हैं तो उनका काम मुश्किल हो जाता है।