Vat Savitri Vrat Katha: इस बार वट सावित्री का व्रत 19 मई, शुक्रवार को किया जाएगा। इस व्रत का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन वट व्रत की पूजा करने का विधान है। महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से ये व्रत करती हैं।
15 मई ,सोमवार को पहले पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र होने से मूसल नाम का अशुभ योग और इसके बाद उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र होने से गद नाम का शुभ योग बनेगा। इनके अलावा विषकुंभ और प्रीति नाम के 2 अन्य योग भी बनेंगे। राहुकाल सुबह 7:28 से 9:06 तक रहेगा।
Achala Ekadashi 2023: इस बार ज्येष्ठ मास की अचला एकादशी का व्रत 15 मई, सोमवार को किया जाएगा। इसे अपरा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते ये व्रत और भी खास हो गया है।
Nirjala Ekadashi 2023 Date: इस बार निर्जला एकादशी का व्रत मई 2023 में किया जाएगा। इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी कहा जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी का वर्णन कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
Shiv Chaturdashi May 2023: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महीने में कई व्रत किए जाते हैं प्रदोष और शिव चतुर्दशी व्रत भी इनमें से एक है। ये दोनों ही व्रत अलग-अलग तिथियों पर किए जाते हैं, लेकिन मई 2023 में ये दोनों व्रत एक ही दिन किए जाएंगे।
Kab Hai Jyestha Amavasya 2023: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। ये तिथि पितरों से संबंधित हैं। इस दिन पूजा, दान, यज्ञ और उपाय आदि करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं।
8 मई, सोमवार को पहले ज्येष्ठा नक्षत्र होने से पद्म नाम का शुभ योग और इसके बाद मूल नक्षत्र होने से लुंबक नाम का अशुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन शिव और सिद्ध नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 7:30 से 9:08 तक रहेगा।
Achala Ekadashi 2023: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला एकादशी कहते हैं। कुछ धर्म ग्रंथों में इसे अपरा एकादशी भी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Sankashti Chaturthi May 2023: ज्येष्ठ मास का संकष्टी चतुर्थी व्रत इस बार 8 मई, सोमवार को किया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते ये तिथि और भी खास हो गई है।
Vat Savitri Vrat 2023 Date: पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए महिलाओं द्वारा कई व्रत किए जाते हैं, वट सावित्री व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर किया जाता है। इस व्रत का महत्व कई ग्रंथों में बताया गया है।