हिंदू धर्म में देवनदी गंगा का विशेष स्थान है। इसे 7 सबसे पवित्र नदियों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। अनेक ग्रंथों में इस नदी से संबंधित कथाओं का वर्णन मिलता है।
हिंदू धर्म में कुछ पेड़-पौधों को बहुत ही विशेष माना जाता है और इनकी पूजा भी की जाती है। तुलसी भी उनमें से एक है। प्राचीन समय में हर घर में तुलसी का पौधा अवश्य होता था।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रंभा तीज (Rambha Teej 2022) का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 2 जून, गुरुवार को किया जाएगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशमी या गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 जून, गुरुवार को है।
हिंदू धर्म में घर-परिवार की सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए की व्रत किए जाते हैं। वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) भी इनमें से एक है। ये व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर किया जाता है। इस बार ये व्रत 30 मई, सोमवार को है।
नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार, 25 मई को सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस नक्षत्र में सूर्य 8 जून तक रहेंगे। ये चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र है, क्योंकि इन नक्षत्र में ये ग्रह उच्च का होता है।
इस बार 22 मई, रविवार को भानु सप्तमी (Bhanu Saptami 2022) का योग बन रहा है। धर्म ग्रंथों में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
इस बार 30 अप्रैल, शनिवार को वैशाख मास की अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक साथ मेष राशि में रहेंगे। चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में रहेगा और सूर्य भरणी नक्षत्र में।
धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) किया जाता है। इस व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 28 अप्रैल, गुरुवार को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।
अप्रैल 2022 के अंतिम 3 दिनों (28, 29 और 30) में व्रत-उत्सवों का सुखद योग बन रहा है। इस संयोग मे शिव पूजा, शनि पूजा और पितृ पूजा करना शुभ फल देने वाला रहेगा। ऐसे संयोग कम बार ही बनता है।