सार
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का दसवां महीना पौष होता है। इस बार 20 दिसंबर, सोमवार से पौष महीना शुरू हो गया है, जो 17 जनवरी 2022 तक रहेगा। पौष महीने में हेमंत ऋतु खत्म होकर शीत की शुरुआत हो जाती है। इसलिए इस मास में सूर्य पूजा का महत्व बताया गया है।
उज्जैन. ग्रंथों में कहा गया है कि पौष में उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इस महीने जरूरतमंद लोगों को गरम कपड़े, तिल, गुड़ और अन्नदान भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं और पुण्य फल मिलता है। साथ ही इस महीने में कई विशेष व्रत-उत्सव भी आते हैं। आगे जानिए पौष मास में आने वाले व्रत और उत्सवों के बारे में…
अखुरथ चतुर्थी (22 दिसंबर, बुधवार): ये गणेश पूजा का दिन है। इस तिथि पर दिनभर व्रत रखा जाता है और रात में चंद्रमा को पूजा के बाद अर्घ्य दिया जाता है। माना जाता है ऐसा करने से हर तरह के संकट दूर होते हैं।
भानू सप्तमी (26 दिसंबर, रविवार): इस दिन पौष महीने का रविवार और सप्तमी तिथि होने से भानू सप्तमी व्रत किया जाएगा। सूर्योदय से पहले तीर्थ स्नान फिर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के बाद दिन में जरूरतमंद लोगों को दान करने से उम्र बढ़ती है।
सफला एकादशी (30 दिसंबर, गुरुवार): ये अंग्रेजी कैलेंडर की आखिरी एकादशी रहेगी। गुरुवार होने से इस दिन की गई विष्णु पूजा का फल और बढ़ जाएगा। इस एकादशी पर व्रत और पूजा से मनोकामना पूरी होती है।
प्रदोष व्रत (31 दिसंबर, शुक्रवार): साल के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि होने से इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस तिथि पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से सुख-समृद्धि और दाम्पत्य सुख बढ़ता है।
पौष अमावस्या (2 जनवरी, रविवार): इस दिन पौष महीने का कृष्णपक्ष खत्म हो जाएगा। इसे पितरों की तिथि बताया गया है। इसलिए पौष अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितरों को संतुष्टि मिलती है। इस पर्व पर किए गए दान का पुण्य भी पितरों का मिलता है।
विनायक चतुर्थी (5 जनवरी, बुधवार): इस तिथि पर भगवान गणेश की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा। पौष महीने की इस चतुर्थी पर भगवान गणेश के विनायक रूप की पूजा करने का विधान है। इनकी पूजा से मनोकाना पूरी होती हैं।
भानू सप्तमी (9 जनवरी, रविवार): इस दिन पौष महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि और रविवार होने से भानू सप्तमी व्रत किया जाएगा। सूर्योदय से पहले तीर्थ स्नान फिर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के बाद दिन में जरूरतमंद लोगों को दान करने से उम्र बढ़ती है।
पुत्रदा एकादशी (13 जनवरी, गुरुवार): इस दिन पुत्रदा एकादशी है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करें। श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें।
मकर संक्रांति (14 जनवरी, शुक्रवार): इस दिन सूर्य धनु से मकर राशि में आता है और उत्तरी गोलार्द्ध में होता है। इसलिए उत्तरायण पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर तीर्थ स्नान, दान और सूर्य पूजा करने की परंपरा है।
प्रदोष व्रत (15 जनवरी, शनिवार): ये नए साल का पहला प्रदोष व्रत रहेगा। इस दिन शनिवार और त्रयोदशी तिथि का संयोग होने से शनि प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस तिथि पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से सुख-समृद्धि और दाम्पत्य सुख बढ़ता है।
पौष पूर्णिमा (17 जनवरी, सोमवार): इस दिन पौष महीने की आखिरी तिथि यानी पूर्णिमा रहेगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।
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