सार
कुछ लोग अयोग्य होते हुए भी खुद को दूसरों से ज्यादा योग्य समझते हैं। जबकि इसका निर्धारण आप स्वयं नहीं कर सकते। इसका बात का निर्धारण तो आपकी योग्यता और गुणों के आधार पर लोग करते हैं।
उज्जैन. लोग आपको आपकी योग्यता के आधार पर समाज में मान-सम्मान देते हैं। आप जैसा समाज को देंगे, वैसा ही समाज से आपको प्राप्त होगा। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि किसी व्यक्ति को समाज में कम तो किसी को ज्यादा सम्मान क्यों मिलता है।
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जब बेटे ने पिता से पूछा एक गंभीर सवाल
एक व्यक्ति की लोहे के सामान की दुकान थी। कभी-कभी उनका बेटा भी आकर दुकान पर बैठता था। वो अपने पिता को पूरी लगन और ईमानदारी से काम करता हुआ देखता। बाजार में हर कोई उस व्यक्ति की तारीफ करता और मेहनती इंसान बताता था। ये बात उसके बेटे को बहुत अच्छी लगती थी।
एक दिन जब बेटा दुकान पर आया तो उसने अपने पिता से अचानक एक प्रश्न पूछा “ पिताजी इस दुनिया में इंसान की क्या कीमत होती है?”
बेटे के मुंह से इतना गंभीर प्रश्न सुनकर पिता हैरान रह गए। कुछ देर तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि वे बेटे को क्या उत्तर दें।
तोड़ी देर तक सोचने के बाद पिता ने कहा “एक इंसान की कीमत आंकना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि वो तो अनमोल है।”
बेटे ने फिर प्रश्न पूछा “ क्या सभी इंसान एक जैसे ही महत्त्वपूर्ण और कीमती हैं?”
पिता ने हां में उत्तर दिया।
बेटे ने फिर एक प्रश्न दागा और पूछा कि “तो क्या कारण है कि दुनिया में किसी व्यक्ति की ज्यादा इज्जत की जाती है तो किसी की कम, क्या इसके पीछे भी कोई खास कारण है?
बेटे का सवाल सुनकर पिता कुछ देर तक सोचते रहे और फिर कहा कि “स्टोर रूम से लोहे की एक रॉड लेकर आओ।” बेटे ने ऐसा ही किया।
पिता ने बेटे से पूछा “बताओ इस रॉड की कीमत कितनी होगी?”
बेटे ने कहा “500 रूपए।”
पिताजी ने फिर प्रश्न पूछा “अगर इस लोगे की रॉड के छोटी-छोटी कीलें बना दी जाएं तो उनकी कीमत कितनी हो जाएंगी?
बेटे ने बोला “तब तो इसकी कीमत 1 हजार से भी ज्यादा की हो जाएगी।”
पिताजी ने फिर पूछा “और अगर इस लोहे की रॉड से ढेर सारी स्प्रिंग बना दूं तो उसकी कीमत क्या होगी?”
बेटे ने कहा “फिर तो इसकी कीमत और भी ज्यादा हो जाएगी।”
पिता ने बेटे को समझाया कि “ठीक इसी तरह हर इंसान का स्वभाव, गुण और अच्छाइयां ही उसे उचित मान-सम्मान दिलवाती हैं। आप क्या है ये माएने नहीं रखता, आप क्या बन सकते हैं, ये माएने रखता है।
बेटे को पिता की बात समझ आ चुकी थी।
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निष्कर्ष ये है कि…
लोग आपको आपके व्यवहार और गुणों के आधार पर ही मान-सम्मान देंगे। आपकी योग्यता ही आपकी पहचान है। आप कैसे दिखते हैं ये माएने नहीं रखता, आप लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ये माएने रखता है।
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