सार

लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजप्रताप यादव के खिलाफ समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र के रोसड़ा थाने में  FIR दर्ज कराया गया है। उन पर शपथ पत्र में अपनी संपत्ति छिपाने का आरोप लगा है।
 

पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजप्रताप यादव समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान में उतरे थे। उन्हें जीत मिली थी। 

इसी विधानसभा क्षेत्र के रोसड़ा थाने में तेजप्रताप यादव के खिलाफ FIR दर्ज कराया गया है। उन पर आरोप लगाया गया है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने गलत शपथ पत्र दाखिल किया था। निर्वाचन आयोग के आदेश और जिला निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देश पर प्रभारी डीसीएलआर सह रोसड़ा एसडीओ ब्रजेश कुमार ने यह कार्रवाई की है। तेजप्रताप यादव के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125 (क) के तहत केस दर्ज किया गया है। उन पर शपथ पत्र में अपनी संपत्ति छिपाने का आरोप लगा है।

जदयू ने चुनाव आयोग से की थी शिकायत
बता दें कि तेजप्रताप यादव ने 2020 में हो रहे विधानसभा चुनाव में हसनपुर क्षेत्र से 13 अक्टूबर 2020 को नामांकन पर्चा भरा था। इसके साथ ही उन्होंने अपनी अचल संपत्ति का ब्योरा शपथ पत्र के साथ संलग्न किया था। इसी शपथ पत्र को आधार बनाकर जदयू ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। जदयू ने आरोप लगाया था कि तेज प्रताप यादव ने शपथ पत्र में अपनी अचल संपत्ति छिपाई है। इसके साथ ही गोपालगंज जिले की संपत्तियां भी सब रजिस्ट्रार के रिकार्ड के अनुसार तेजप्रताप यादव के नाम पर पंजीकृत है। इसका ब्योरा नहीं दिया गया।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इस शिकायत को भारत निर्वाचन आयोग को भेजा था। आयोग ने मामले को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को सौंपते हुए रिपोर्ट की मांग की। बोर्ड ने बताया कि विधानसभा निर्वाचन 2015 और 2020 के लिए दाखिल शपथ पत्रों के बीच चल-अचल संपत्तियों में 82 लाख 40 हजार 867 की वृद्धि बताई गई। जबकि, वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2016-20 तक इनकम टैक्स रिटर्न के हिसाब से कुल आय सिर्फ 22 लाख 76 हजार 220 रुपए बनती है। 

यह 2020 के निर्वाचन के शपथ पत्र में बताए गए परिसंपत्तियों से मेल नहीं खाती है। इस मामले में आयोग ने तेजप्रताप यादव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया था। तेजप्रताप की ओर से जवाब नहीं दिए जाने पर FIR दर्ज की गई है। आरोप सही साबित हुए तो तेजप्रताप मुश्किल में फंस सकते हैं। उनकी विधायकी भी जा सकती है।


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