सार
गुरमीत रामरहीम तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और सिरसा के डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख है। हालांकि, डेरा सीधे तौर पर राजनीति गतिविधियों में भाग नहीं लेता। लेकिन चुनाव से पहले किसी ने किसी दल को समर्थन जरूर देता है।
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने रेप और हत्या के मामले में दोषी गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim Singh) को 21 दिन की पैरोल मंजूर की है। पंजाब चुनाव के बीच गुरमीत की इस पैरोल का पंजाब चुनाव में सीधा असर पड़ सकता है। क्योंकि पंजाब की 48 सीटों पर डेरा समर्थकों का सीधा असर पड़ सकता है। डेरा को लेकर कांग्रेस खासतौर पर प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिह सिद्धू लगातार हमलावर रहे हैं। डेरा की ओर से अपनी ताकत दिखाने के लिए समागम भी किया था, जिसमें बड़ी संख्या में डेरा समर्थक आए थे। इसके बाद ही यह माना जाने लगा था कि डेरा इस बार पंजाब की राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा करेगा।
गुरमीत रामरहीम तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख है। हालांकि, डेरा सीधे तौर पर राजनीति गतिविधियों में भाग नहीं लेता। लेकिन चुनाव से पहले किसी ने किसी दल को समर्थन जरूर देता है। यह समर्थन मतदान से एक दिन पहले शाम के वक्त दिया जाता है। डेरा समर्थक ही इस संदेश को आगे ले जाने का काम करते हैं। क्योंकि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 25 अगस्त 2017 से जेल में है। इसलिए किस पार्टी को समर्थन देना, यह काम डेरा की 25 सदस्यीय राजनीतिक कमेटी करती है।
डेरा पर हमलावर रहते हैं सिद्धू, चार्जशीट में रामरहीम का नाम जोड़ा
इस बार पंजाब चुनाव में डेरा की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है। राजनीतिक समीक्षक वीरेंद्र भारत ने बताया कि पंजाब के पिछले विधानसभा चुनाव में बेअदबी मामलों को लेकर डेरा को निशाना बनाया गया। खासतौर पर नवजोत सिंह सिद्धू लगातार बेअदबी का मामला उठा कर डेरा पर निशाना साधते रहे हैं। पिछले दिनों ही बेअबदबी मामले में दायर चार्जशीट में गुरमीत रामरहीम का नाम भी जोड़ा गया।
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इस वक्त फरलो के राजनीतिक मायने क्या हैं?
डेरा प्रमुख ने तीन बार पैरोल की अर्जी लगाई, लेकिन वह रिजेक्ट हो गई। इस बार उनकी अर्जी मंजूर हुई। भले ही गुरमीत रामरहीम को सजा भाजपा सरकार में हुई है, लेकिन फिर भी डेरा का झुकाव भाजपा की ओर ही रहा है। इस बार क्योंकि भाजपा पंजाब में अकेली बड़ी पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ रही है। तीन कृषि कानून के रद्द होने के बाद भाजपा पंजाब चुनाव के मैदान में है। इस वजह से डेरा का समर्थन भाजपा के लिए खासा मायने रखता है।
कांग्रेस से नाराज हैं डेरा प्रेमी
वीरेंद्र भारत ने बताया कि जिस तरह से कांग्रेस की डेरा के प्रति जो नीति रही है, इससे पंजाब के डेरा प्रेमी भी खासे आहत हैं। इसलिए माना यह जा रहा है कि डेरा समर्थक भाजपा को समर्थन दे सकते हैं। यूं भी जिस तरह से अब गुरमीत को पैरोल मिली है, इससे भी यह संदेश जा रहा है किसी ना किसी स्तर पर डेरा के प्रति भाजपा का रुख नरम है। गुरमीत की पैरोल की अर्जी तीन बार कोर्ट से खारिज हुई। इस बार मां की देखरेख के लिए उसे 21 दिन की पैरोल मिल गई है।
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आप को हो सकता है सीधा नुकसान
डेरा का प्रभाव पंजाब की ग्रामीण सीटों पर सबसे ज्यादा है। अब यदि यहां डेरा समर्थक भाजपा के पक्ष में जाते हैं तो आम आदमी पार्टी को इसका सीधा नुकसान होगा। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि अब यदि पंजाब में भाजपा को डेरा ने समर्थन दे दिया तो कांग्रेस के बाद इसका सीधा नुकसान आप को होगा। क्योंकि आप का सबसे ज्यादा वोटर है। जानकारों का कहना है कि 2007 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। तब अकाली दल अपनी पकड़ वाली सीट पर भी हार गए थे। हालांकि तब भाजपा के सहयोग से अकाली दल सरकार बनाने में कामयाब रहा था। 2007 में अकाली दल को 48 और कांग्रेस को 44 सीट आई थी। बीजेपी को 19 सीट आई। इस वजह से अकाली सरकार बन गई थी। अकाली सरकार बनने के बाद डेरा के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी। इससे डेरा ने सबक लेकर बीच के रास्ते पर चलना तय कर लिया था। 2012 में डेरा ने किसी को समर्थन नहीं दिया था।
पंजाब के 25 प्रतिशत लोग डेरों से जुड़े हुए हैं
पंजाब में 2.12 करोड़ मतदाता हैं। 25 प्रतिशत लोग डेरे से जुड़े हुए हैं। प्रदेश में 12 हजार 581 गांव हैं। यहां 1.13 डेरों की शाखाएं हैं। जाहिर है कि डेरा का झुकाव जिस ओर भी हो जाएगा, उस पार्टी के लिए जीत का गणित आसान हो सकता है। यह लोग डेरा की बात मानते हैं। लेकिन जब से डेरा प्रमुख जेल चला गया था, तब से डेरा समर्थक भी वोट को लेकर किसी ना किसी स्तर पर इधर-उधर हो जाते थे।
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गुरमीत का पड़ेगा असर
गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने का सीधा असर पंजाब की राजनीति में पड़ेगा। वीरेंद्र भारत ने बताया कि उम्मीद है कि डेरा भाजपा को समर्थन देगा। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी के लिए यह खासा सियासी लाभ होगा। बीजेपी को समर्थन देने की वजह यह है कि गुरमीत को बेल मिली है। डेरा यूं भी भाजपा के प्रति झुकाव रखता है। दूसरा डेरा को भी पता है कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार है। इसलिए डेरा भाजपा से सीधे-सीधे टकराव लेना भी नहीं चाह रहा है। क्योंकि समर्थन देने में डेरे से भले ही कितनी भी गोपनीयता बरती जाए, लेकिन यह बात बाहर आ ही जाती है।
बाबा का हुकुम माना जाएगा
इस बार क्योंकि पंजाब चुनाव से पहले गुरमीत रामरहीम पैरोल पर बाहर आ गया है। इसलिए डेरा भी जिसे समर्थन देगा, उसके समर्थक यह मानेंगे कि इस बार बाबा का हुकुम है। इस तरह से समर्थकों के वोट बिखरने का अंदेशा बहुत कम है। उम्मीद यह है कि इस बार यदि डेरा की ओर से समर्थन जिस भी दल को दिया गया, उसे कम से कम डेरा के 70 से 80 प्रतिशत समर्थक वोट डालेंगे। इसलिए पंजाब चुनाव के मौके पर गुरमीत की यह पैरोल खासी मायने रख रही है।