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1st अटेम्प्ट में नहीं निकला प्री, फिर स्ट्रेटजी से की तैयारी...नतीजा-UPSC 2020 की टॉपर बन गई शिवाक्षी दीक्षित
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जो सब कर रहे हैं, वही करने की कोशिश मत करिए
शिवाक्षी कहती हैं कि सामान्य तौर पर हर्ड मेंटालिटी होती है कि जो सब कर रहे हैं, वहीं हम भी करेंगे पर वह करने की कोशिश मत करिए। जिस काम को करने में आपकी रूचि हो। अब चाहे वह कितने लोग भी कर रहे हों, कम या ज्यादा, उसको करिए। क्योंकि आपको उसी करियर के साथ रहना पड़ेगा। डिस्ट्रैक्शन को कम करिए। सोशल मीडिया से एकदम से दूर तो नहीं रहा जा सकता लेकिन आप अपनी कुछ सीमाएं तय कर सकते हैं। जैसे हम कुछ घंटे पढ़ने के बाद आधे घंटे या 15 मिनट के लिए सोशल मीडिया देख सकते हैं। इस तरह से खुद पर नियंत्रण रखकर आप डिजिटल मीडिया से हो रहे डिस्ट्रैक्शन से खुद को दूर कर सकेंगे। अपना टाइम टेबल बनाइए और उसे फॉलो करिए। अपने रूटीन में स्थायी निरंतरता बहुत जरूरी है।
स्ट्रेटजी बनाकर की तैयारी
शिवाक्षी वर्ष 2017 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने के बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गयीं। उनका कहना है कि पढ़ाई अच्छे से योजना बनाकर करनी होती है। इस परीक्षा का फॉर्मेट बदलता रहता है। एक बार परीक्षा देकर समझ में आता है कि वास्तव में इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए क्या आवश्यकताए हैं या फिर आप प्रीवियस इयर के प्रश्न पत्रों को पढ़कर भी यह समझ सकते हैं। यदि यह चीज एक बार आपके समझ में आ गयी तो फिर आप उसी के अनुसार अपनी रणनीति बनाते हैं। तब यूपीएससी क्रैक करना कठिन नहीं होता है। उनको परीक्षा को समझने में दो अटेम्पट लग गए। उन्होंने परीक्षा की जरूरतों को समझने के बाद उसी के मुताबिक अपनी रणनीति बनायी और रिसोर्सेज का चयन किया। हर व्यक्ति के लिए उसकी रणनीति अलग हो सकती है, क्योंकि हर व्यक्ति की ताकत और कमजोरी अलग-अलग होती है। अपनी ताकत और कमजोरी को ध्यान में रखते हुए हर अभ्यर्थी को अपनी रणनीति बनानी चाहिए।
असफल होने की डर से आती थी निराशा
शिवाक्षी का कहना है कि असफल होने के डर की वजह से निराशा आती है। इसे दूर करने का तरीका यही है कि अच्छे से योजना बनाकर पढ़ाई की जाए। अगर कभी बोर हों या पढ़ने का मन नहीं कर रहा हो तो उस समय खुद पर बहुत ज्यादा पढ़ाई का दबाव नहीं बनाती थी। ब्रेक लेकर आप आराम से पढ़ सकते हैं। आपको अपनी हॉबीज पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि आज जब वह कर रहे होते हैं, जिसमें आपकी रूचि है तो उससे आपके अंदर रचनात्मकता आती है। बोरियत दूर होती है। आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। इस जर्नी में आपकी हॉबीज आपकी बहुत सहायता करती हैं और जीवन पर्यंत काम आती हैं।
प्रेरणा कहां से मिली?
लखनऊ के इंदिरा नगर की रहने वाली शिवाक्षी का बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना था। उन्हें यह करियर बहुत अच्छा लगता था। इसमें समाज में बहुत ही व्यावहारिक तौर पर काम करने का अवसर मिलता है, जो बहुत ही प्रेरणादायक होता है। इसकी यही खूबी शिवाक्षी को जंची और उन्होंने सिविल सर्विस में जाने की राह चुनी। इस बारे में उन्होंने अपने परिवारवालों से भी चर्चा की तो उन्होंने भी शिवाक्षी का सपोर्ट किया।
इंटरव्यू में इसलिए होता है तनाव
शिवाक्षी का कहना है कि इंटरव्यू में यह तो पता नहीं होता कि कैसे प्रश्न पूछ लिए जाएं, हालांकि हर अभ्यर्थी तैयारी करके जाते ही हैं। बस थोड़ा तनाव यही होता है। इसके लिए आपको खुद को रिलैक्स रखना चाहिए। आपसे आपकी प्रोफाइल से जुड़े सवाल ही पूछे जाते हैं। इसमें बहुत घबराने की जरूरत नहीं होती है। इंटरव्यू बोर्ड के मेम्बर आपसे वार्तालाप करते हैं। आपको कम्फर्ट फील कराते हैं। इंटरव्यू में उनसे उनकी प्रोफाइल से रिलेटेड चीजें ही पूछी गयीं। उनका कहना है कि बोर्ड मेंबर से बहुत ही अच्छा इंटरएक्शन था। वह सीनियर लोग थे, बहुत ही प्रासंगिक सवाल पूछे गए थे। इंटरव्यू 30 मिनट चला था। अभ्यर्थियों को पहले अपने प्रोफाइल के बारे में तैयारी करनी चाहिए। शिवाक्षी से ज्यादातर कामर्स बैकग्राउंड या लखनऊ से जुड़े सवाल पूछे गए। उनका कहना है कि यदि आपको किसी सवाल का जवाब नहीं आता है तो आप मना कर सकते हैं। बोर्ड मेम्बर इसका बुरा नहीं मानते हैं और दूसरा सवाल पूछते हैं।
मां-पिता को देती हैं सफलता का श्रेय
शिवाक्षी के पिता कृष्ण कांत दीक्षित ग्रामीण बैंक में मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं। उनकी माता वीना दीक्षित टीचर हैं। आईएएस बनने का पूरा श्रेय वह अपने माता पिता और भाई बहनों को देती हैं। उनकी बहन शताच्छी दीक्षित जॉब कर रही हैं, जबकि उनके भाई शाश्वत दीक्षित अभी पढ़ाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि टीचर्स का भी उनकी सफलता में अहम योगदान है।
रिसोर्सेज का चयन सावधानीपूर्वक करें
हमारे पास विशेषकर डिजिटल माध्यम में बहुत सारे रिर्सोसेज उपलब्ध हैं। पढ़ाई के लिए यूटयूब और तमाम ऑनलाइन सोर्सेज हैं। शिवाक्षी कहती हैं कि बहुत सावधानीपूर्वक उनका चयन करना चाहिए। यदि हम बहुत सारी वेबसाइट और बहुत सारी चीजों को प्राथमिकता देने लगेंगे तो भी दिक्क्त हो सकती है, क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि जिस सोर्स को हम प्राथमिकता दे रहे हैं, उनमें बहुत ज्यादा वास्तविकता नहीं होती है। आजकल ऑनलाइन माध्यम से तमाम गलत सूचनाएं भी प्राप्त होती हैं। इसलिए हमें बहुत सोच समझ कर ही पढ़ाई के लिए सोर्सेज का चुनाव करना चाहिए। सबसे जरूरी है कि आप अपना समय बहुत सोच समझ कर निवेश करें। एक योजना बनाएं। योजना बनाने से बहुत मदद मिल जाती है। बस आपको योजना बनाते समय सोर्सेज के चयन में सावधानी बरतनी होगी।
करियर बहुत सीरियसली लें, इससे न करें समझौता
शिवाक्षी का युवाओं से कहना है कि वह अपने करियर को बहुत ही गंभीरता से लें। बहुत सारे डिस्ट्रैक्शन होते हैं। विशेषकर डिजिटल युग में इनकी कोई कमी नहीं है। पर किसी वजह से आप अपने करियर के साथ कोई समझौता नहीं करें। अपने करियर का चुनाव बहुत सोच समझकर करें। ऐसा बिल्कुल नहीं करें कि सब लोग कहते हैं कि सिविल सर्विस बहुत अच्छी है। इसलिए आप सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गएं। आप जो भी करियर चुनें, पहले यह देख लें कि आपकी उसमें रूचि है या नहीं। वह काम क्या है? सबसे ज्यादा आपकी उस काम में रूचि होनी चाहिए। अगर आपको सिविल सर्विस का काम पता है और उसमें रूचि है तो आप इस करियर का चुनाव करें। फिर अच्छी तरह योजना बनाकर पढ़ाई करें तो असंभव कुछ भी नहीं है। कई बार हमें दो साल लग जाते हैं। परीक्षा थोड़ी कठिन है, समझने में समय लगता है। लेकिन खुद को डिमोटिवेट न होने दें। अगर सिविल सर्विस में चयन नहीं होता है तो भी बहुत सारे विकल्प हैं। बेस्ट परफार्मेंस करने की कोशिश करनी चाहिए।
यदि आईएएस न होती तो क्या होती
ऐसा मैंने सोचा ही नहीं था। शुरू से इसी सर्विस में जाने की योजना थी। लेकिन मैंने कॉमर्स से ग्रेजुएशन की है तो शायद मैं एमबीए करती और मैनेजमेंट की तरफ जाती।
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