सार
गरिमा ने मीडिया से बात करते हुए यूक्रेन के ताजा हलातों को बयां किया है। उसने बताया कि रुसी सेना ने 2 ही दिन में खारकीव को शमशान बना दिया है। जगह-जगह लोगों के शव दिख रहे हैं। कोई चीख रहा तो कोई अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा है।
पानीपत (हरियाणा). यूक्रेन में रूस (russia ukraine war ) की भारी बमबारी जा रही है। दोनों देशों के बीच सात दिनों से संग्राम चल रहा है। युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ तो अपने वतन लौट आए हैं, लेकिन अभी हजारों स्टूडेंट वहीं पर फंसे हुए हैं। इसी बीच यूक्रेन से हरियाणा के रिवाड़ी की बेटी गरिमा अपने घर सही सलामत लौटी है। गरिमा ने कहा-यूक्रेन की सीमा क्रॉस करने से पहले तक उसकी सांसें अटकी हुई थीं। एक पल तो मुझे ऐसा लगा कि अब जिंदा देश लौटना मुश्किल होगा। भारत की इस बेटी ने यूक्रेन की बर्बादी की वो कहानी बयां की है जो दिल दहला देने वाली है।
कीव भी अब शमशान और खंडहर में तब्दील हो चुका
गरिमा ने मीडिया से बात करते हुए यूक्रेन के ताजा हलातों को बयां किया है। उसने बताया कि रुसी सेना ने 2 ही दिन में खारकीव को शमशान बना दिया है। जगह-जगह लोगों के शव दिख रहे हैं। कोई चीख रहा तो कोई अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा है। कल तक जो इमरातें लाइटों से जगमगा रही थीं वो खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। यूक्रेन के शहरों में कर्फ्यू लगा हुआ है, बाहर निकलने वाले को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं।
भूखे-प्यासे घंटों पैदल चलकर पहुंच रहे बॉर्डर तक
रिवाड़ी की बेटी गरिमा ने बताया कि रूस के हमले से यूक्रेनियन ही नहीं, बल्कि भारतीय स्टूडेंट भी डरे-सहमे हैं। वह बंकरों में छिपे बैठे हैं, किसी के पास पीने को पानी नहीं बचा है तो किसी के पास खाना नहीं। पैसे खत्म हो चुके हैं, बाजार और एटीएम बंद हैं, जो सामान मिल रहा है उसकी कीमत 20 गुनी कर दी गई हैं। इस युद्ध में सबसे ज्यादा परेशानी उन भारतीय स्टूडेंट को हो रही है, जो कीव और खारकीव में फंसे हुए हैं। वह किसी तरह कीव से रोमानिया बॉर्डर तक भूखे-प्यासे घंटों पैदल चलकर तक पहुंच रहे हैं।
कैसे यह युद्ध शुरू हुआ कब-कब क्या हुआ सब जानिए
गरिमा ने बताया कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग की चर्चा 10 फरवरी के बाद शुरू हो गई थी। फिर 16 फरवरी को तो हमला होने की बातें ही होने लगीं। लेकिन कुछ हुआ नहीं सब नॉर्मल नजर आ रहा था। यूक्रेन सहित वहां पर रहने वाले सभी लोग सामान्य जीवन जी रहे थे। ऐसे में भारत के स्टूडेंटों को लगने लगा था कि यह युद्ध अब नहीं होगा। लेकिन इस बीच 23 फरवरी को फिर से युद्ध की चर्चा शुरू हुई और रूस ने हमला करना शुरू कर दिया।