Triangle of Death: न्यूयॉर्क में महिला का पिंपल फोड़ना पड़ा भारी। चेहरे के ‘Triangle of Death’ में इंफेक्शन से चेहरा लकवाग्रस्त। जानें क्या है ये हाई-रिस्क फेस ज़ोन और क्यों है खतरनाक। 

NY Woman Facial Paralysis: न्यूयॉर्कमें एक महिला का पिंपल फोड़ना उसे सीधा अर्जेंट केयर (Urgent Care) पहुंचा गया। मामला चेहरे के उस हाई-रिस्क ज़ोन का है जिसे मेडिकल साइंस में Triangle of Death कहा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिंपल को दबाने के कुछ ही घंटों बाद चेहरा बुरी तरह से सूज गया और देखते ही देखते महिला का चेहरा पैरालाइज हो गया।

दरअसल, TikTok यूज़र लिश मैरी (@lishmarie1) ने अपनी नथुने के नीचे एक सिस्टिक पिंपल (Cystic Pimple) दबाया था। कुछ घंटों में ही चेहरे का बायां हिस्सा बुरी तरह सूज गया और वह सिर्फ एक तरफ का चेहरा हिला पा रही थीं। न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उन्हें सीवियर फेशियल इंफेक्शन बताया और एंटीबायोटिक्स व स्टेरॉयड्स का कोर्स दिया।

क्या होता है ट्राएंगल ऑफ डेथ? डर्मेटोलॉजिस्ट्स की जानें सलाह

डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. मार्क स्ट्रॉम (Dr. Mark Strom) ने समझाया कि Triangle of Death में मौजूद नसें Cavernous Sinus के जरिए सीधे दिमाग से जुड़ी होती हैं। यहां पिंपल फोड़ने से बैक्टीरिया ब्लडस्ट्रीम में पहुंचकर ब्रेन इंफेक्शन, स्ट्रोक, पैरालिसिस और ब्लाइंडनेस तक का कारण बन सकते हैं। ट्राएंगल ऑफ डेथ, नाक के ब्रिज से मुंह के किनारों तक का एरिया होता है। इस ज़ोन में पिंपल फोड़ने से बैक्टीरिया सीधे ब्रेन तक पहुंच सकते हैं।

डर्मेटोलॉजिस्ट्स ने चेतावनी दी है कि अगर चेहरे पर पिंपल निकल आए तो उसकी अनदेखी न करें और न ही उनको हाथ से जबरिया हटाने की कोशिश करें। विशेषज्ञों ने कहा कि चेहरे के सेंट्रल ज़ोन में पिंपल न दबाएं। इसके बजाय टॉपिकल ट्रीटमेंट्स या स्किन स्पेशलिस्ट की मदद लें। पिंपल्स को स्किन स्पेशलिस्ट की देखरेख में ही हटवाने की कोशिश करें या उनके सुझाव पर ही उसे हाथ से दबाएं।

खतरे को भांप लिया था महिला ने, तुरंत मेडिकल हेल्प कॉल किया

लिश मैरी ने कहा कि उन्हें खतरे का अंदाज़ा लग गया था इसलिए उन्होंने कुछ घंटों में ही मेडिकल हेल्प ली। उन्होंने बताया कि जब उनका चेहरा सूजने लगा और अत्यधिक दर्द की चपेट में वह आईं तो बिना देर किए मेडिकल हेल्प के लिए कॉल कर दिया। इलाज के अगले दिन उनकी हालत सुधरी लेकिन स्माइल अभी भी असमान थी। तीन दिन बाद वह पूरी तरह ठीक हो गईं।