सार
केरल हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी को 15 दिन की छुट्टी की अनुमति दे दी है। एक महिला ने बच्चा पैदा करने के लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी। महिला की याचिका पर क्या कहते हुए कोर्ट ने कैदी को छुट्टी दी है आइए जानते हैं।
रिलेशनशिप डेस्क. केरल हाई कोर्ट (kerala high court) ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी को 15 दिन की छुट्टी की अनुमति दी है। कैदी की पत्नी ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसे संतान सुख पाना है और इसके लिए पति की जरूरत है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) ट्रीटमेंट के लिए कोर्ट ने कैदी को छुट्टी दी है।
न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने दंपति की सहायता करते हुए कहा कि जब एक पत्नी इस तरह के अनुरोध के साथ अदालत में आती है, तो वह तकनीकी पहलुओं पर इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि अपराध में दोषी पाए जाने के बाद सजा मुजरिम को इस लिए दी जाती है ताकि उसमें सुधार हो। केरल कोर्ट ने आगे कहा कि 'आपराधिक मामले में सज़ा काट चुके व्यक्ति को बाहर आने पर अलग व्यक्ति की तरह व्यवहार करने की ज़रूरत नहीं है। उसे किसी भी अन्य नागरिक की तरह एक सभ्य जीवन जीने का पूरा अधिकार है।'
IVF ट्रीटमेंट के लिए छुट्टी कैदी को मिलनी चाहिए
इसलिए, मेरी राय है कि अधिकारियों को याचिकाकर्ता के पति को आईवीएफ ट्रीटमेंट जारी रखने के लिए कम से कम 15 दिनों की छुट्टी देनी चाहिए। कोर्ट ने तमाम प्रक्रिया पूरी होने के बाद दो सप्ताह के भीतर कानून के मुताबिक आईवीएफ ट्रीटमेंट से गुजरने के लिए व्यक्ति को छुट्टी देने का निर्देश दिया। इसके साथ ही दंपति को राहत देते हुए अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि तत्काल आदेश को सभी मामलों में एक मिसाल के रूप में लेने की जरूरत नहीं है।
कैदी इसका नहीं उठा सकते गलत फायदा
इसके साथ ही दंपति को राहत देते हुए अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि तत्काल आदेश को सभी मामलों में एक मिसाल के रूप में लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मामले पर उसकी योग्यता के आधार पर विचार किया जाना चाहिए। दावा कितना सच्चा है इसे देखना जरूरी है। दोषी जेल से बाहर निकलने के लिए इसका उपयोग नहीं कर सकेत हैं।प्रत्येक मामले पर दावे की वास्तविकता के आधार पर विचार किया जाना चाहिए।
पति के साथ बच्चा पैदा करने का सपना
बता दें कि 31 साल की मैथ की टीचर का पति वर्तमान में विय्यूर में केंद्रीय कारागार और सुधार सेवाओं में बंद है। उसने कोर्ट में याचिका दायर की कि साल 2012 में उनकी शादी हुई थी। शादी के बाद से उनकी कोई संतान नहीं है और बच्चा पैदा करना उनका सपना था। उसने कोर्ट को बताया कि वह और उसके पति डॉक्टर से संतान पाने के लिए इलाज करा रहे हैं। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुवत्तुपुझा के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टर ने उन्हें आईवीएफ/आईसीएसआई (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन/इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) प्रक्रिया से गुजरने का सुझाव दिया था। इलाज के लिए यह जरूरी है कि उसका पति तीन महीने तक उसके साथ मौजूद रहे।
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