सार
पीएम मोदी के लिए लंच में नारियल पानी, मौसमी जूस, लौकी जूस और हरी सब्जियों का इंतजाम किया गया है। पर्यटन विभाग के पास इसका जिम्मा है। बाहरी जिलों से आने वाले 27 हजार आदिवासी मेहमानों के लिए नाश्ते में पोहा-जलेबी और चाय, रात के खाने में आलू-मटर की सब्जी, पूड़ी, दाल-चावल और रायता दिया जाएगा।
भोपाल : PM नरेंद्र मोदी (Narendra modi) के ग्रैंड वेलकम के लिए मध्यप्रदेश (madhya praesh) की राजधानी भोपाल (bhopal) तैयार है। 15 नवंबर को प्रधानमंत्री यहां आने वाले हैं। राजा भोज एयरपोर्ट से जंबूरी मैदान और रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (पहले हबीबगंज) तक करीब 30 किलोमीटर की सड़कों के दोनों ओर की दीवारों पर आकर्षक ट्राइबल पेंटिंग्स की गई है। मंच और पंडाल में हर तरफ आदिवासी संस्कृति की झलक दिखने लगी है। मंच के एक हिस्से में गोंड पेटिंग भी बनाई है। पीएम के लंच से लेकर स्वागत तक हर इंतजाम का खास ख्याल रखा जा रहा है।
आदिवासी परंपरा से होगा स्वागत
शहीद बिरसा मुंडा (birsa munda) की जयंती के अवसर पर 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस (janjatiya gaurav diwas) महासम्मेलन में शामिल होने प्रधानमंत्री मोदी भोपाल आ रहे हैं। पीएम दोपहर 12.33 बजे राजा भोज एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां से प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से जंबूरी मैदान पहुंचेंगे। जहां उनका स्वागत आदिवासी परंपरा से होगा। उन्हें तीर-कमान और पगड़ी भेंट की जाएगी। जनजातीय भाई-बहन पारंपरिक समूह नृत्य से पीएम की अगवानी करेंगे। जिसके बाद वे भगवान बिरसा मुंडा और जनजातीय समाज के क्रांतिकारियों पर आधारित प्रदर्शनी का उदघाटन करेंगे। इसके साथ ही जनजातीय बहनों के सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वारा तैयार उत्पादों के स्टॉल का भी पीएम अवलोकन करेंगे।
पीएम मोदी के लंच में होगा ये
पीएम मोदी के लिए लंच में नारियल पानी, मौसमी जूस, लौकी जूस और हरी सब्जियों का इंतजाम किया गया है। पर्यटन विभाग के पास इसका जिम्मा है। बाहरी जिलों से आने वाले 27 हजार आदिवासी मेहमानों के लिए नाश्ते में पोहा-जलेबी और चाय, रात के खाने में आलू-मटर की सब्जी, पूड़ी, दाल-चावल और रायता दिया जाएगा। जंबूरी मैदान में जाते समय उन्हें पानी की बोतल और खाने का पैकेट दिया जाएगा।
पीएम को अमृत माटी कलश भेंट किया जाएगा
प्रधानमंत्री को अमृत माटी कलश भेंट किया जाएगा। इस कलश में प्रदेश के 75 चयनित स्थानों जहां पर आजादी के लिए अपना बलिदान देने वाले महापुरूषों की जन्मभूमि, बलिदान भूमि और उनके जीवन से जुड़े स्थानों की माटी शामिल होगी। लाखों की संख्या में जनजातीय अपनी सांस्कृतिक परंपरा और पारंपरिक वेशभूषा के साथ गौरव दिवस के कार्यक्रम में शामिल होंगे।
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