सार

अकाली दल (Akali Dal) के सीनियर नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Bikramjit Singh Majithia) पंजाब राजनीति में अभी तक अजेय थे। वह मजीठा से लगातार तीन बार जीतते रहे। लेकिन अंह के टकराव ने आज उन्हें हार का मजा चखा दिया।

अमृतसर ईस्ट.  अमृतसर ईस्ट सीट (Amritsar East seat) से आम आदमी पार्टी की जीवन ज्योत कौर (Jeevan Jyot Kaur) ने बाजी मारी। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को इस सीट से 25112 वोट मिले, जबकि जीवन ज्योत कौर को 39520 वोट देकर जनता ने विधानसभा भेजा। कांग्रेस के उम्मीदवार नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) 32807 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में मजीठा विधानसभा सीट पर बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने 65 हजार मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। 

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पंजाब से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

मजीठिया को राजनीतिक करियर में आज पहली हार का सामना करना पड़ा। एक समय सिद्धू और मजीठिया दोनो एक ही गाड़ी में साथ साथ घूमा करते थे। लेकिन सियासत में दोस्ती अब दुश्मनी में बदल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। मजीठिया पहली बार मजीठा हलका छोड़ कर सिद्धू को टक्कर देने के लिए अमृतसर ईस्ट में आए थे। लेकिन यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

इसके लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह सब मजीठिया का अति आत्मविश्वास था। सिद्धू ने उन पर जो आरोप लगाए, इसे वह  व्यक्तिगत मान बैठे।यह उनके सियासी करियर की सबसे बड़ी भूल बन गई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को सिद्धू ने चैलेंज दिया था कि वह अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़े। इसे मजीठिया ने स्वीकार तो कर लिया, लेकिन हार गए।

दरअसल 18 साल से सियासत कर रहे सिद्धू को कभी इस सीट से इतनी  कड़ी टक्कर मिली ही नहीं थी। मगर इस बार  सिद्धू बुरी तरह फंस गए थे। रही-सही कसर आम आदमी पार्टी (AAP) पूरी कर रही है। AAP कैंडिडेट जीवनजोत कौर बेशक बहुत बड़ा नाम न हों मगर लोग झाड़ू को पसंद कर रहे थे। इनके बीच BJP ने अकाली दल से अलग होने के बाद अमृतसर ईस्ट सीट पर उपस्थिति दर्ज कराने के मकसद से रिटायर्ड IAS अफसर जगमोहन राजू पर दांव खेलहै। यह सभी मिलकर सिद्धू के वोट काटे।

मजीठिया की हार की वजह
- सियासी जीवन में पहली बार शहरी सीट से उतरे। शहरी वोटर उनकी दबंग छवि से हिचक रहा।
- सिद्धू से सीधी टक्कर है। नया इलाका होने की वजह से जीरो से शुरुआत करनी पड़ रही।
- अमृतसर ईस्ट सीट पहले BJP के पास रही। इसलिए यहां अकाली दल का खास वोट बैंक नहीं है।
- कैंपेन संभालने के लिए रूरल टीम पर निर्भर जिसके लिए शहरी मतदाता से कनेक्ट करना मुश्किल।
- 2-2 सीटों पर प्रचार का जिम्मा। मजीठा सीट से पत्नी गुनीव कौर अपना पहला चुनाव लड़ रहीं।
-दबंग छवि भी बड़ी वजह रही, क्योंकि शहरी वोटर उन्हें पसंद नहीं करते।

 

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