सार
महाभारत का युद्ध सिर्फ कौरवों और पांडवों तक ही सीमित नहीं था। इस युद्ध में अन्य देशों के राजाओं ने भी भाग लिया था। इस युद्ध में अरबों सैनिकों की मौत हुई थी। ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि युद्ध के दौरान दोनों पक्षों के लिए भोजन कौन बनवाता था?
Mahabharat Ki Rochak Baate: महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही विचित्र भी है। महाभारत का युद्ध कुल 18 दिनों तक चला था। इस युद्ध में सिर्फ कौरव और पांडव ही नहीं बल्कि देश-दुनिया के अनेक राजाओं ने भी भाग लिया था। इस युद्ध में रोज अरबों सैनिक युद्ध करता थे। ऐसे में ये प्रश्न सभी के मन में उठता है कि युद्ध के दौरान कौरव और पांडव अपनी सेना के लिए भोजन की व्यवस्था कैसे करते थे। आगे जानिए आपके इस सवाल का जवाब…
जब कुरुक्षेत्र में पहुंचें उडुपी के राजा
जब कौरवों और पाडंवों के बीच युद्ध तय हो गया तो दोनों पक्षों की सेनाएं कुरुक्षेत्र में आ गईं। इस युद्ध में भाग लेने के लिए उडुपी के राजा भी कुरुक्षेत्र भी पहुंचें। पांडव और कौरव दोनों ही उन्हें अपने पक्ष में युद्ध करने के लिए मनाने लगे। ऐसी स्थिति में उडुपी के राजा के लिए निर्णय लेना कठिन हो गया कि वे पांडवों की ओर से युद्ध लड़े या कौरवों की ओर से।
श्रीकृष्ण को बताई अपनी दुविधा
मन में असमंजस की स्थिति को लेकर उडुपी के राजा पांडवों के शिविर में पहुंचें और भगवान श्रीकृष्ण से मिले। उन्होंने कहा कि ‘मैं भाइयों के बीच हो रहे इस युद्ध का समर्थक नहीं हूं और न ही मैं इस युद्ध में सशस्त्र शामिल होना चाहता हूं, लेकिन फिर भी मैं किसी न किसी रूप में इस युद्ध का हिस्सा बना रहना चाहता हूं, ऐसा किस तरह से संभव हो सकता है?’
श्रीकृष्ण ने दिया सुझाव
उडूपी के राजा की बात सुनकर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि ‘ठीक है राजन, अगर आप युद्ध में सशस्त्र शामिल नहीं होना चाहते तो आप दोनों पक्षों (कौरवों और पांडवों) के करोड़ों सैनिकों के लिए प्रतिदिन भोजन का प्रबंध कर दिया करें, इससे आप युद्ध में शामिल न होकर भी इसका हिस्सा हो सकते हैं।’
युधिष्ठिर ने किया सम्मान
श्रीकृष्ण की बात मानकर उडुपी के राजा ने ऐसा ही किया। वे प्रतिदिन अपने सेवकों से दोनों पक्षों के सैनिकों के लिए भोजन बनवाते थे। उडुपी नरेश ने दोनों ओर के सैनिकों के लिए 18 दिन तक प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराया। राज्याभिषेक के दौरान महाराज युधिष्ठिर ने उडूपी के राजा का सम्मान भी किया।
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