दास्तान ए दिल्ली: कांग्रेस के गढ़ में आप ने लगाई थी सेंध, लेकिन...

वीडियो डेस्क। दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां जोर शोर के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर हर पार्टी का प्रत्याशी लोगों को लुभाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि दिल्ली की सत्ता किसे हासिल होगी ये तो 8 फरवरी को तय होगा। लेकिन उससे पहले हम आपको बता रहे हैं कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों का मिजाज कैसा है। 

/ Updated: Jan 28 2020, 08:12 PM IST

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वीडियो डेस्क। दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां जोर शोर के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर हर पार्टी का प्रत्याशी लोगों को लुभाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि दिल्ली की सत्ता किसे हासिल होगी ये तो 8 फरवरी को तय होगा। लेकिन उससे पहले हम आपको बता रहे हैं कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों का मिजाज कैसा है। दास्तान ए दिल्ली में हम आज आपको बताएंगे सीलमपुर विधानसभा सीट के बारे में। सीलमपुर एक मुस्लिम बाहुल्य इलाका है। दिल्ली की बेहद ही दिलचस्प इस सीट पर कभी एक व्यक्ति का बोलबाला था। राजनीतिक पार्टियों के खेल को इस सीट ने खूब बिगाड़ा है। इस एक शख्स की यहां ऐसी धाक थी कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी आज तक इस सीट को नहीं जीत पाई है। जी हां हम बात कर रहे हैं मतीन अहमद की। जिन्होंने पहले 1993 में जनता दल, फिर 1998 में निर्दलीय और उसके बाद 2003 से 2013 तक लगातार तीन बार कांग्रेस से जीत दर्ज की। लेकिन साल 2015 के विधानसभा चुनावों में मतीन अहमद का किला ढह गया और ये सीट आप के खाते में चली गई। इस बार भी सीलमपुर विधानसभा सीट पर आप, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुक़ाबला है। इस सीट पर आप ने सीटिंग विधायक को टिकट नहीं दिया है। उसकी जगह नया चेहरा मैदान में उतारा है। आप ने अब्दुल रहमान, बीजेपी ने कौशल मिश्रा तो कांग्रेस ने एक बार फिर मतीन अहमद को मैदान में उतारा है। इस सीट को जीतने के लिए एक बार फिर आम आदमी पार्टी को आंधी की जरूरत है। वहीं ये भी देखना जरूरी है कि कौन यहां की जनता के वादों पर खरा उतर पाएगा। क्या शिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी जैसे मूलभूत मुद्दों को राजनीति पार्टियां भुना पाएंगी। आखिर जनता किसको अपना विधायक बनाएगी। ऐसे में इन सभी सवालों के बीच आम आदमी पार्टी इस सीट को फिर से जीतने के लिए...कांग्रेस खोई हुई सत्ता वापस पाने के लिए और बीजेपी अपना खाता खोलने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। वहीं राजनीतिक पार्टियों के गणित को बिगाड़ने के लिए चुनाव मैदान में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी उतरे हैं आप के बागी हाजी इशराक खान। ऐसे में ये सीट किसके खाते में जाएगी ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।