एक्सप्लेनर: हमारा एक राफेल पाकिस्तान के 4 फाइटर प्लेन को कर सकता है नेस्तनाबूत

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारत को मंगलवार को विजयादशमी के मौके पर फ्रांस से पहला राफेल लड़ाकू विमान मिल जाएगा। हालांकि, यह मई 2020 तक भारत आएगा। तब तक भारतीय वायुसेना के पायलट फ्रांस में ही इसे उड़ाने की ट्रेनिंग लेंगे।

/ Updated: Oct 08 2019, 03:08 PM IST
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एक्सप्लेनर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारत को मंगलवार को विजयादशमी के मौके पर फ्रांस से पहला राफेल लड़ाकू विमान मिल जाएगा। हालांकि, यह मई 2020 तक भारत आएगा। तब तक भारतीय वायुसेना के पायलट फ्रांस में ही इसे उड़ाने की ट्रेनिंग लेंगे। इसकी खूबियों को जानने के एशिया नेट हिन्दी न्यूज (hindi.asianetnews.com) ने वायुसेना के रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल आदित्य विक्रम पेठिया से बातचीत की। ये ऐसे रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल हैं, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इनकी अहम भूमिका रही है।

 एफ-16 से कैसे बेहतर है हमारा राफेल
पाकिस्तान के एफ-16 में लगने वाली एमराम मिसाइलों की रेंज अधिकतम 100 किमी है। वहीं, राफेल का मिसाइल सिस्टम इससे कहीं एडवांस है। भारत के सभी लड़ाकू विमान हवा से हवा और हवा से जमीन पर सटीक निशाना साधने वाले हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं, लेकिन राफेल में खास बात यह है कि यह ज्यादा रेंज वाले हथियारों को भी ले जा सकता है। जैसे- यह मीटिअर मिसाइलों को कैरी कर सकता है, जो 150 किमी से ज्यादा दूरी पर भी हवा में मूव कर रहे टारगेट पर बेहद सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं। मीटिअर मिसाइलें जेट से लेकर छोटे मानव रहित विमानों के साथ-साथ क्रूज मिसाइलों को भी निशाना बना सकती हैं। इसी तरह राफेल विमान स्कैल्प मिसाइलों को भी ले जा सकता है। ये मिसाइलें करीब 300 किलोमीटर दूर जमीन पर स्थित किसी भी टारगेट को नष्ट कर सकती हैं। ये मिसाइलें विमान को जमीन से निशाना साध रहे हथियारों से भी सुरक्षित रखती हैं। इस तरह एक लड़ाकू विमान में लंबी रेंज वाली मिसाइलें उसे दुश्मन के हमले से तो सुरक्षित रखती ही हैं, साथ ही मिशन को सफलता दिलाने में भी इनका बड़ा रोल होता है।