स्पेशल:चरणों में चुनाव से क्या होता है फायदा, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त से जानें कैसे काम करता है इलेक्शन कमीशन

वीडियो डेस्क। देश के पांच राज्यों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल औोर केंद्र शासित पुडुचेरी में 27 मार्च से मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ होगी और 29 अप्रैल तक अलग-अलग चरणों में संपन्न होगी। 2 मई को मतों की गिनती होगी। ऐसे में हमने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से जाना कि भारत का निर्वाचन आयोग कैसे काम करता है।  चुनाव आयोग किसी इलेक्शन की तैयारी कैसे करता है।  इलेक्शन कमीशन कितने दिन पहले तैयारियों में लगता है। इस दौरान वो किन-किन बातों का ध्यान रखता है।इ स बार ये जो चुनाव होने वाला है कोविड के बाद का चुनाव है तो  रूटिन चुनाव और इसमें क्या अंतर क्या है।  चरणों में चुनाव से क्या फायदा होता है। इन महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानें। देखिए पूरा इंटरव्यू 

निर्वाचन आयोग क्या है?
भारत निर्वाचन आयोग, जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है।यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है। भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है जिसमें चुनावों के संचालन के लिये एक आयोग की स्थापना करने की बात कही गई है।चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी।
संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं।

/ Updated: Mar 05 2021, 01:57 PM IST
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वीडियो डेस्क। देश के पांच राज्यों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल औोर केंद्र शासित पुडुचेरी में 27 मार्च से मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ होगी और 29 अप्रैल तक अलग-अलग चरणों में संपन्न होगी। 2 मई को मतों की गिनती होगी। ऐसे में हमने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से जाना कि भारत का निर्वाचन आयोग कैसे काम करता है।  चुनाव आयोग किसी इलेक्शन की तैयारी कैसे करता है।  इलेक्शन कमीशन कितने दिन पहले तैयारियों में लगता है। इस दौरान वो किन-किन बातों का ध्यान रखता है।इ स बार ये जो चुनाव होने वाला है कोविड के बाद का चुनाव है तो  रूटिन चुनाव और इसमें क्या अंतर क्या है।  चरणों में चुनाव से क्या फायदा होता है। इन महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानें। देखिए पूरा इंटरव्यू 

निर्वाचन आयोग क्या है?
भारत निर्वाचन आयोग, जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है।यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है। भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है जिसमें चुनावों के संचालन के लिये एक आयोग की स्थापना करने की बात कही गई है।चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी।
संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं।

निर्वाचन आयोग की संरचना
निर्वाचन आयोग में  केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के जरिये 16 अक्तूबर, 1989 को इसे तीन सदस्यीय बना दिया गया।इसके बाद कुछ समय के लिये इसे एक सदस्यीय आयोग बना दिया गया और 1 अक्तूबर, 1993 को इसका तीन सदस्यीय आयोग वाला स्वरूप फिर से बहाल कर दिया गया। तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
निर्वाचन आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है।मुख्य निर्वाचन अधिकारी IAS रैंक का अधिकारी होता है, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति ही करता है।
इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु ( दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है।इन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समकक्ष दर्जा प्राप्त होता है और समान वेतन एवं भत्ते मिलते हैं।मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान ही पद से हटाया जा सकता है।

निर्वाचन आयोग के कार्य
चुनाव आयोग भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करता है।
इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य आम चुनाव या उप-चुनाव कराने के लिये समय-समय पर चुनाव कार्यक्रम तय करना है।
यह निर्वाचक नामावली (Voter List) तैयार करता है तथा मतदाता पहचान पत्र (EPIC) जारी करता है।
यह मतदान एवं मतगणना केंद्रों के लिये स्थान, मतदाताओं के लिये मतदान केंद्र तय करना, मतदान एवं मतगणना केंद्रों में सभी प्रकार की आवश्यक व्यवस्थाएँ और अन्य संबद्ध कार्यों का प्रबंधन करता है।
यह राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करता है उनसे संबंधित विवादों को निपटाने के साथ ही उन्हें चुनाव चिह्न आवंटित करता है।
निर्वाचन के बाद अयोग्य ठहराए जाने के मामले में आयोग के पास संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों की बैठक हेतु सलाहकार क्षेत्राधिकार भी है।
यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिये चुनाव में ‘आदर्श आचार संहिता’ जारी करता है, ताकि कोई अनुचित कार्य न करे या सत्ता में मौजूद लोगों द्वारा शक्तियों का दुरुपयोग न किया जाए।
यह सभी राजनीतिक दलों के लिये प्रति उम्मीदवार चुनाव अभियान खर्च की सीमा निर्धारित करता है और उसकी निगरानी भी करता है।