जंगल से सटी नहर में बह रही थी बाघिन, शरीर पर चोट के निशान देखकर हैरत में पड़े लोग
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल मे रहने वाले बाघ और अन्य वन्य जीवों की मौत की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। जंगल से सटी हरदोई ब्रांच नहर में शनिवार को एक बाघिन का शव बहता पाया गया। उसे आसपास गांव के लोगों ने बमुश्किल बाहर निकाला तो देखा उसके शरीर पर चोट के कई निशान हैं।
पीलीभीत: एक तरफ दुनिया भर में वन्य जीव संरक्षण की बात पुरजोर ढंग से की जाती है, वहीं उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल मे रहने वाले बाघ और अन्य वन्य जीवों की मौत की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। जंगल से सटी हरदोई ब्रांच नहर में शनिवार को एक बाघिन का शव बहता पाया गया। उसे आसपास गांव के लोगों ने बमुश्किल बाहर निकाला तो देखा उसके शरीर पर चोट के कई निशान हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस वयस्क बाघिन की मौत कैसे हुई? लेकिन चोट के निशान देखकर सहज आशंका व्यक्त की जा रही है कि उसकी हत्या की गई है। दरअसल, काफी समय से यह माना जा रहा है कि कुछ लोग जंगल में घुसकर वन्यजीवों की जानमाल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
गौरतलब है कि यह तीसरा बाघ है, जिसका शव हरदोई ब्रांच नहर में पाया गया है। वहीं, अन्य घटनाओं में क्षेत्र में ग्रामीण वन्य जीवों को मार चुके हैं, क्योंकि उन पर वन्य जीव हमला कर देते हैं। सवाल यह है कि वन्य जीव और मानव संघर्ष रोकने के लिए जिम्मेदार वन विभाग की टीमें क्या करती हैं? यदि वे जिम्मेदारी ढंग से निभाएं तो यह हालत उत्पन्न न हों। वन विभाग का गैरजिम्मेदाराना रवैया शनिवार को नहर में बाघिन का शव देखे जाने के बाद भी सामने आया। वन विभाग के कर्मचारियों की कोशिश बाघिन के शव को नहर में बह जाने देने की थी, ताकि वह उसको लेकर जवाबदेही से बच सकें लेकिन ग्रामीण नहीं माने। उन्होंने कोशिश करके बाघिन के शव को नहर से बाहर निकाला और वन विभाग को सौंप दिया। फिलहाल, शव को पोस्टमार्टम के लिए बरेली स्थित आईवीआरआई यानी भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान भेजा गया है, जहां पोस्टमार्टम में मौत का असल कारण स्पष्ट हो सकेगा, लेकिन इतना तो साफ है कि वन्य जीवों की असमय हो रही मौत को वन विभाग रोक नहीं पा रहा है और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल मे रहने वाले वन्य जीवों को संख्या धीरे-धीरे काम होती जा रही है।