उन्नाव: कर्ज लेकर फसल बोने वाले किसान आत्महत्या को मजबूर, किसानों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार
यूपी के उन्नाव में किसान आत्महत्या को मजबूर है। फसल खराब होने के चलते किसान काफी परेशान है और उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। किसानों ने बीज और कीटनाशक विक्रेता पर भी आरोप लगाया है।
उन्नाव की बांगरमऊ तहसील क्षेत्र से बेहद दुखी कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां दर्जनों किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए आरोप है कि किसानों ने आलू बीज शोधन के लिए आशीष शराब बाबू निवासी नौबतगंज से खरीदी थी। जिसके प्रयोग से संपूर्ण आलू फसल नहीं होगी जिस कारण दर्जनों किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है। किसानों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उनका नुकसान बीज विक्रेता से दिलवा जाए ,अगर ऐसा नहीं हुआ तो किसान पूरे परिवार समेत आत्महत्या करने की ठान चुके हैं। किसानों के मुताबिक लगभग 40 बीघे जमीन पर 2000000 रुपए की लागत से फसल बोई गई थी। स्थानीय प्रशासन किसानों की समस्या के पीछे का क्या राज है इस बात की पूर्ति जांच करने में जुटा हुआ है। वहीं उप जिलाधिकारी उदित नारायण सेंगर ने किसानों को न्याय मिलने का आश्वासन दिया है।
बता दें कि बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के ग्राम बुद्धा मजरा मेला आलमसाह निवासी दर्जनों किसानों ने क्षेत्रीय उच्च अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर फरियाद की है। वहीं किसानों का आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक श्रीकांत कटियार द्वारा कोई आश्वासन नहीं मिला है। जिसके चलते किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है। लालता प्रसाद पुत्र टिकाई ने बताया कि आलू बीज शोधन के लिए जगत नगर निवासी आशीष गुप्ता से बीज व कीटनाशक दवाइयां खरीदी गई थी। जिसके प्रयोग से संपूर्ण आलू फसल नहीं होगी। जिस कारण हम सभी लोगों ने बीज विक्रेता की दुकान पर पहुंचकर संबंधित समस्या से अवगत कराया उसके बावजूद दुकानदार से भी कोई आश्वासन नहीं मिला है।
अब ऐसे में कर्ज के बोझ तले दबे किसान आत्महत्या नहीं करेंगे तो क्या करेंगे। एक केबल पर परिवार का गुजर-बसर चलता है। इस बात से शासन-प्रशासन सभी अच्छी तरीके से वाकिफ हैं उसके बावजूद उच्चाधिकारियों द्वारा मनमानी रवैये से किसानों की फरियाद को नजरअंदाज किया जा रहा है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं किसानों में आत्महत्या का सपना था बस गया है उसके अलावा इनकी सोच और मानसिकता विफलता की ओर बढ़ रही है। ऐसे में योगी के सुबह की सरकार इस कठिन परिश्रम में क्या किसानों की समस्याओं का हल निकाल पाएगी या फिर यूं ही एक के बाद एक कर्ज के बोझ तले किसान आत्महत्या करते रहेंगे।