रूस और यूक्रेन वॉर को शुरु हुए पूरे एक साल हो गए हैं। ऐसे में कई तरह के सवाल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे हैं। उसमें जो प्रमुख सवाल है, वह यही कि पिछले एक साल में इस युद्ध का असर दुनिया के बाकी देशों के रिश्तों पर कैसा पड़ा है।
चीन को लेकर अमेरिका के सुर लगातार ऊपर-नीचे हो रहे हैं। पहले जासूसी हवाई वस्तुएं यानी बलून को लेकर क्लीन चिट देने और अब रूस-यूक्रेन युद्ध में उसकी भूमिका पर अमेरिका ने चीन के फेवर में बात कही है।
UNGA ने गुरुवार (23 फरवरी) को यूक्रेन को लेकर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अपने सहयोगियों की मदद से बनाया गया यूक्रेन का यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में 141-7 से पारित हुआ। भारत और चीन ने इस प्रस्ताव में वोटिंग नहीं की।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन शुक्रवार को अपने यूक्रेनी समकक्ष वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ जी-7 देशों के नेताओं की एक वर्चुअल बैठक की मेजबानी करेंगे। व्हाइट हाउस ने कहा कि इसमें वह रूस के खिलाफ व्यापक प्रतिबंधों की अपेक्षा करेंगे।
बिडेन ने रॉयल कैसल के बाहर जमा हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन रूस के लिए कभी जीत नहीं होगा- कभी नहीं।
पश्चिम स्थानीय संघर्ष को वैश्विक संघर्ष में बदलने की कोशिश कर रहा है और हम उचित तरीके से प्रतिक्रिया देंगे। हम अपने देश के अस्तित्व के बारे में बात कर रहे हैं।
यूएस प्रेसिडेंट जो बिडेन के यूक्रेन दौरे से रूसी इंटेलीजेंस की सबसे अधिक किरकिरी हुई है। दरअसल, रूसी इंटेलीजेंस को इसकी भनक तक नहीं लगी कि अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन के कीव पहुंच रहे हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध(Russia Ukraine war) को 24 फरवरी को एक सा पूरे हो जाएंगे। इस बीच युद्ध का रोकने तमाम कोशिशें बेकार रही हैं। अमेरिका ने एक बार फिर भारत से इस दिशा में पहल की अपील की है।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुति ने मुलाकात की। यह मुलाकात काफी लंबी चली।
अजीत डोभाल बुधवार को रूस की दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं। मास्को में भारतीय दूतावास ने एक ट्वीट कर एनएसए और राष्ट्रपति पुतिन के बीच मुलाकात के बारे में जानकारी साझा की गई है।