वास्तु शास्त्र के ग्रंथों में भोजनशाला यानी किचन को बहुत ही खास माना गया है। वराहमिहिर के ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता में बताया गया है कि घर का किचन पूर्व और दक्षिण दिशा के बीच में होना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के ग्रंथ भवन भास्कर और विश्वकर्मा प्रकाश में बताया गया है कि घर की किस दिशा में क्या होना चाहिए। इनके साथ ही अन्य वास्तु ग्रंथों के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरूम एक खास दिशा में होने चाहिए।
वास्तु शास्त्र में हर दिशा के एक विशेष महत्व बताया गया है। हर दिशा के एक स्वामी हैं। उत्तर दिशा के स्वामी धन के देवता कुबेर हैं।
वास्तु शास्त्र में सभी दिशा महत्वपूर्ण होती हैं। दक्षिण पश्चिम दिशा को नैऋत्य कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी राहु हैं। इस दिशा को घर की सभी दिशाओं से भारी व ऊंचा रखा जाना चाहिए।
घर हो या ऑफिस, अगर इन जगहों पर वास्तु दोष रहते हैं तो नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इस वजह से काम में मन नहीं लगता है। तनाव बना रहता है।
जब भी आप कोई नया बिजनेस शुरू करते हैं तो आशा करते हैं आपका बिजनेस दिनोंदिन तरक्की करता रहे, लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। बिजनेस न चलने के कई कारण हो सकते हैं।
कुछ परिवारों में आए दिन वाद-विवाद की स्थिति बनती रहती है। कभी भाई-भाई में विवाद हो जाता है तो कभी पिता-पुत्र में। सास-बहू के बीच में भी आए दिन इस तरह की स्थिति बनती रहती है।
किचन घर का महत्वपूर्ण स्थान होता है। किचन में अगर वास्तु दोष हो तो उसका सबसे ज्यादा नेगेटिव इफेक्ट परिवार की महिलाओं पर ही पड़ता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सजावट के लिए रखे गए पौधे भी हमारे जीवन पर अच्छा व बुरा प्रभाव डालते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के अंदर सूर्य की किरणें आनी चाहिए। घर के ज्यादातर हिस्से में सूर्य की रोशनी होने से उस जगह के कई दोष खत्म हो जाते हैं।