9 जून शुक्रवार को पहले धनिष्ठा नक्षत्र होने से प्रजापति और शतभिषा नक्षत्र होने से सौम्य नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इनके अलावा वैधृति और विषकुंभ नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल सुबह 10:45 से दोपहर 12:26 तक रहेगा।
June 2023 Rashifal: साल 2023 का छठा महीना जून शुरू होने वाला है। ये महीना इसलिए भी खास है क्योंकि इसी महीने से वर्षा ऋतु का आरंभ भी होगा। इस महीने में कई व्रत-त्योहार आदि मनाए जाएंगे।
शनि जयंती इस बार 19 मई, शुक्रवार को है। इस दिन शनिदेव के मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं। वैसे तो हमारे देश में शनिदेव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में तमिलनाडु में स्थित अक्षयपुरीश्वर मंदिर बहुत खास है।
19 मई, शुक्रवार को पहले भरणी नक्षत्र होने से मुद्गर नाम का अशुभ योग और इसके बाद कृत्तिका नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग रहेगा। इनके अलावा शोभन और अतिगण्ड नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 10:44 से दोपहर 12:23 तक रहेगा।
Shani Jayanti 2023: हर साल ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 19 मई, शुक्रवार को है। इस दिन शनि मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Shani Jayanti 2023 Shubh Muhurat :इस बार 19 मई, शुक्रवार को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार, इसी दिन सूर्यपुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। इस बार शनि जयंती पर की शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस पर्व का महत्व बहुत बढ़ गया है।
Shani Myth: इस बार शनि जयंती का पर्व 19 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन सभी प्रमुख शनि मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना आदि की जाती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए उपायों से शनिदेव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।
Shani Jayanti 2023: इस बार शनि जयंती का पर्व 19 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी तिथि पर सूर्यपुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। शनि की साढ़ेसाती और ढय्या से जुड़ी कई मान्यताएं व भ्रांतियां भी हमारे समाज में काफी प्रचलित हैं।
Shani Jayanti 2023: हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 19 मई, शुक्रवार को है। शनि जयंती का पर्व क्यों मनाते हैं, इसे लेकर कई मान्यताएं प्रचलित है।
नासा के साइंटिस्ट्स का मानना है कि शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस की बर्फीली सतह काफी चिकनी है और वहां का तापमान शून्य से नीचे 300 डिग्री फ़ारेनहाइट से भी ज्यादा है। वैज्ञानिक का मानना है कि इसकी बर्फीली सतह के नीचे भारी मात्रा में पानी हो सकता है।