धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था। इसीलिए इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, सिद्धिविनायक चतुर्थी और श्रीगणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
रुद्राक्ष भगवान शंकर के स्वरूप से जुड़ा है। भगवान शंकर के उपासक इन्हें माला के रूप में पहनते हैं।
श्रीगणेश अंक भगवान गणेश से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें भगवान गणेश के जीवन की सभी घटनाओं और उनसे जुड़े उपायों का विवरण है।
किसी भी शुभ काम का शुभारंभ श्रीगणेश के पूजन के बाद ही होता है। इनकी पूजा से हमारे सारे काम बिना किसी बाधा से पूरे हो जाते हैं।
श्रीगणेश भगवान शिव व पार्वती के पुत्र हैं, ये बात हम सभी जानते हैं, लेकिन श्रीगणेश के संपूर्ण परिवार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
भगवान श्रीगणेश का स्वरूप देखने में बहुत ही रहस्यमयी लगता है, लेकिन गणेशजी के सभी अंगों में बिजनेस मैनेजमेंट से जुड़े खास सूत्र छिपे हैं, जरूरत है तो उन्हें समझने की।
भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य, मंगलमूर्ति, दु:खहर्ता, मंगलकर्ता, गणनायक और न जाने कितने ही नामों से पुकारा जाता है। श्रीगणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, हर युग में पैदा होने वाले राक्षसों के विनाश के लिए गणपति ने अवतार लिए हैं।
गणेशजी को वक्रतुंड भी कहा जाता है। इस शब्द का अर्थ है मुड़ी हुई सूंड।
भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। ये बात हम सभी जानते हैं, लेकिन श्रीकृष्ण और अर्जुन के अलावा भी गीता को कई बार बोला व सुना गया।