सार
महाभारत हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है। इसे पांचवें वेद की संज्ञा भी दी गई है। दुनिया को जीवन-मृत्यु का रहस्य बताने वाली गीता भी इसी ग्रंथ की देन है। ये बात तो लगभग सभी जानते हैं कि महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी और इसको लिखा भगवान श्रीगणेश ने था।
उज्जैन. महर्षि वेदव्यास बोलते गए और भगवान श्रीगणेश (Ganesh Utsav 2021) महाभारत लिखते गए। मान्यता है कि इस महाकाव्य को पूरा होने में तकरीबन तीन साल का वक्त लगा था। इस दौरान गणेश जी ने एक बार भी ऋषि को एक क्षण के लिए भी बोलने से नहीं रोका, वहीं महर्षि ने भी शर्त पूरी की। गणेश उत्सव (Ganesh Utsav 2021) के मौके पर हम आपको इस कथा से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं…
ये थी वो शर्त
भगवान श्रीगणेश ने इस शर्त पर महाभारत का लेखन किया था कि महर्षि वेदव्यास बिना रुके ही लगातार इस ग्रंथ के श्लोक बोलते रहें। तब महर्षि वेदव्यास ने भी एक शर्त रखी कि मैं भले ही बिना सोचे-समझे बोलूं लेकिन आप किसी भी श्लोक को बिना समझे लिखे नहीं। बीच-बीच में महर्षि वेदव्यास ने कुछ ऐसे श्लोक बोले जिन्हें समझने में श्रीगणेश को थोड़ा समय लगा और इस दौरान महर्षि वेदव्यास अन्य श्लोकों की रचना कर लेते थे।
यहां लिखी थी श्रीगणेश ने महाभारत
मान्यता है कि श्रीगणेश ने पूरी महाभारत कथा उत्तराखंड में मौजूद मांणा गांव की एक गुफा में लिखी थी, जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं। इस गुफा में व्यास जी ने अपना बहुत सारा समय बीताया था और महाभारत समेत कई पुराणों की रचना की थी। व्यास गुफा को बाहर से देखकर ऐसा लगता है मानों कई ग्रंथ एक दूसरे के ऊपर रखे हों, इसलिए इसे व्यास पोथी भी कहते हैं। भगवान गणेश ने ब्रह्मा द्वारा निर्देशित काव्य महाभारत को विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य कहलाने का वरदान दिया, जिसे लिपिबद्ध स्वयं उन्होंने किया था।
बद्रीनाथ के निकट है ये स्थान
यह पवित्र स्थान देवभूमि उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर भारतीय सीमा के अंतिम गांव माणा में स्थित है। बद्रीनाथ के दर्शनों के बाद जो यात्री गणेश गुफा और व्यास गुफा की यात्रा करना चाहते हैं वह तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा भी कर सकते हैं। रास्ते में साथ चलते अलकनंदा नदी को देखना मन को आनंदित करता है। जो यात्री पैदल नहीं चलना चाहते हैं वह बद्रीनाथ से माणा गांव तक के लिए सवारी ले सकते हैं। यहां कार और जीप की सुविधा हमेशा उपलब्ध रहती है।
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