Nahay Khay 2023 Date: हिंदू धर्म में सूर्यदेव से संबंधित अनेक व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इन सभी छठ पर्व सबसे प्रमुख है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन इसकी रौनक बिहार और उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से देखनो को मिलती है।
Vinayaka Chaturthi November 2023 Date: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी या वरद चतुर्थी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Chitragupt Puja 2023: दिवाली के बाद भाई दूज पर भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन कायस्थ समाज के लोग इस पर्व को विशेष रूप से मनाते हैं।
Bhai Dooj 2023: भाई दूज भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। हर साल ये पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी सुख-समृद्धि यानी गुड लक बढ़ता है।
Bhai Dooj 2023: दिवाली उत्सव के अंतिम दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इस बार भाई दूज 15 नवंबर, बुधवार को है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
Bhai Dooj 2023: हर साल कार्तिक मास में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का उदाहरण है। इस पर्व से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है। भाई दूज के दिन ये कथा जरूर सुननी चाहिए।
Chhath Puja 2023 kab hai: कार्तिक मास के प्रमुख त्योहारों में से छठ पूजा भी एक है। वैसे तो ये त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार का ये मुख्य पर्व है। इस दौरान छठ मैया और सूर्यदेव की पूजा का विधान है।
Labh Panchami 2023 Kab Hai: दिवाली के 5 दिन बाद लाभ पंचमी का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व मुख्य रूप से गुजरात का है। ये पर्व व्यापारी वर्ग के लिए काफी खास माना जाता है। इस दिन शिव परिवार के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है।
Govardhan Puja 2023: दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस बार गोवर्धन पूजा 14 नवंबर, मंगलवार को है। गोवर्धन पर्वत से कईं सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
Chhath Puja 2023 Date:छठ पूजा उत्तर भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है। ये पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व से कईं मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं।